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हिमाचल की दवाई कंपनी झारखंड में फैला रही थी नशे का कारोबार, 3 आरोपी गिरफ्तार

रांची से 500 पेटी नशीली दवाओं की खेप की बरामदगी मामले में पुलिस ने 3 लोगों को जेल भेज दिया है. हिमाचल की दवाई कंपनी झारखंड में अपने सेल्स ऑफिसर दीपक के माध्यम से आरके इंटरप्राइजेज के मालिक संतोष कुमार गुप्ता को डिलीवरी दी जाती थी. इसके बाद पूरे राज्य में इन दवाओं की अवैध तरीके से बेची जा रही थी.

जांच में जुटी पुलिस

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Published : Aug 17, 2019, 2:57 AM IST

रांची: रातू रोड अमरूद बगान से 500 पेटी नशीली दवाओं की खेप की बरामदगी मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को जेल भेज दिया है. जेल भेजे गए आरोपियों के अलावा दवा बनाने वाली हिमाचल प्रदेश के बद्दी की कंपनी विंग्स बायोटेक के चार निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.


जेल भेजे गए आरोपियों में न्यू मधुकम निवासी अवैध नशीली दवाओं के स्टॉकिस्ट आरके इंटरप्राइजेज के मालिक संतोष कुमार गुप्ता, इंद्रपुरी रोड नंबर एक निवासी दीपक कुमार सिंह और रातू स्थित गायत्री नगर निवासी विक्रांत कुमार शामिल है. एफआईआर के अनुसार नशीली दवाओं में कोडीन फॉस्फेट का अधिक मात्रा में मिश्रण है. जिसका इस्तेमाल नशा के लिए किया जाता है.


95 प्रकार की नशीली दवाई बरामद
हिमाचल प्रदेश के बद्दी सोलान स्थित दवा कंपनी विंग्स बायोटेक झारखंड में अपने सेल्स ऑफिसर दीपक के माध्यम से आरके इंटरप्राइजेज के मालिक संतोष कुमार गुप्ता को डिलीवरी दी जाती थी. इसके बाद पूरे राज्य में इन दवाओं की अवैध तरीके से बेची जा रही थी. नशा के लिए ही इन दवाओं का इस्तेमाल किया गया जा रहा था. बरामद नशीली दवाओं में ओनोरेक्स, फेंसीरेक्स सहित कोडीन फॉस्फेट की अत्यधिक मिश्रण से बनी 95 तरह की दवाईयां बरामद की गई है. जो सीरप, टैबलेट और पाउडर के रूप में मिली है.


दवाओं की होगी एफएसएल जांच
पूलिस अब जब्त सारी नशीली दवाओं की एफएसएल जांच कराएगी. पुलिस ने कोर्ट में जब्त सूची तैयार कर सौंप दिया है. फिलहाल, थाना के मालखाने में सभी दवाओं को जब्त कर रखा गया है. जिन्हें पुलिस और ड्रग इंस्पेक्टर मिलकर एफएसएल में सैंपलिंग जांच के लिए भेजेंगे. इस मामले में एनडीपीएस, ड्रग एंड कॉस्पमेटिक और आईपीसी की धारा 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.


बिना ड्रग लाइसेंस नशीली दवाओं की बिक्री
पूलिस के अनुसार बिना ड्रग लाइसेंस के ही आरके इंटरप्राइजेज के मालिक संतोष कुमार गुप्ता नशीली दवाओं की बिक्री कर रहे थे. अवैध ढंग से स्टॉक किया जाता था. इसके बाद बिक्री की जा रही थी. ड्रग कंट्रोल विभाग के अधिकारी और पुलिस ने जब संतोष से ड्रग लाइसेंस मांगा, तो लाइसेंस उपलब्ध नहीं करवा पाएं. बता दें कि अमरूद बगान स्थित एक घर में नशीली दवाएं स्टॉक कर पूरे राज्य में सप्लाई की जा रही थी. पुलिस व ड्रग कंट्रोल विभाग ने भंडाफोड़ करते हुए 500 पेटी कफ सीरप और अन्य नशीली दवाओं की खेप बरामद किया था.


चतरा में डिलीवरी से खुला राज
ड्रग कंट्रोल विभाग को सूचना मिली थी कि एक डिलीवरी कंपनी नशीली दवाओं की सप्लाई कर रहा है. उसकी वे बिल संख्या 69484316 से जानकारी मिली कि नशीली दवाओं की खेप हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित विंग्स बायोटेक कंपनी से चतरा के गंदऊरी जतराही बाग स्थित माही मेडिकल्स के नाम पर 47 कार्टन दवाई डिलीवरी के लिए भेजी गई थी.


इस सूचना पर ग्राहक बनकर पुलिस और ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम माही मेडिकल्स पहुंची, तो वहां से बताया कि वे रांची में रहने वाले कंपनी के सेल्स ऑफिसर के माध्यम से दिला सकते हैं. दीपक कुमार सिंह को पकड़ा गया. उसकी निशानदेही पर ही आरके इंटरप्राइजेज से भारी मात्रा में नशीली दवाओं की खेप पकड़ी गई.


कोडीन फासफेट के कंपोजिशन
कोडिन फास्फेट का अत्यधिक मात्रा में मिश्रित कंपोजिशन नशे का आदी बना देता है. बिना किसी चिकित्सक की लिखी पर्ची के यह दवा किसी मरीज को नहीं दी जा सकती, लेकिन कई दुकानदार इसे बेरोकटोक बेच रहे हैं. पुलिस अब उन दवा दुकानों में भी छापेमारी करेगी, जहां ऐसी दवाएं बिक रही है.

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