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रांची का अंतरराष्ट्रीय मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बदहाल, मेंटनेंस पर 10 करोड़ रुपये सालाना खर्च का दावा

रांची के होटवार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर का मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स इन दिनों बदहाली का रोना रो रहा है. सालाना 10 करोड़ रुपये इसके मेंटेनेंस में खर्च किए जा रहे हैं. इसका संचालन झारखंड स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी करती है, जो झारखंड सरकार और सीसीएल की एक ज्वाइंट वेंचर है. इसके बावजूद स्टेडियम की हालत काफी बुरी है.

international mega sports complex of ranchi is getting shabby
रांची का अंतरराष्ट्रीय मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बदहाल

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Published : Jun 30, 2020, 4:49 PM IST

रांची: झारखंड की राजधानी रांची के होटवार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर का मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स इन दिनों बदहाली का रोना रो रहा है. 650 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए इस पूरे कॉम्प्लेक्स में 9 इंटरनेशनल स्तर के स्टेडियम हैं. इनके रखरखाव का जिम्मा सीसीएल का है. सालाना 10 करोड़ रुपये इनके मेंटेनेंस में खर्च किए जा रहे हैं. इसका संचालन झारखंड स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी करती है, जो झारखंड सरकार और सीसीएल की एक ज्वाइंट वेंचर है. इसके बावजूद स्टेडियम की हालत काफी बुरी है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी
कॉम्प्लेक्स में एक साथ 9 स्टेडियम हैं और ग्राउंड की जो व्यवस्था है, वह खिलाड़ियों के लिए काफी सुविधाजनक है. साल 2006 में होटवार में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. इस पूरे कॉम्प्लेक्स को तैयार करने में लगभग 3 साल लग गए थे. पहली बार साल 2011 में नेशनल गेम्स का आयोजन इस स्टेडियम के अलावा राज्य के और 2 स्टेडियम में किया गया. हालांकि सबसे ज्यादा गेम इसी वर्ल्ड लेवल के कैंपस में आयोजित हुए. 34 वें नेशनल गेम के आयोजन के बाद इस परिसर के रखरखाव का जिम्मा सीसीएल को दिया गया. झारखंड सरकार ने सीसीएल के साथ मिलकर जेएसएसपीएस का गठन किया. इसके जरिए पूरी मेंटेनेंस की देखरेख की जाने लगी. करीब 235 एकड़ भू-भाग में बने इस स्टेडियम में राष्ट्रीय खेल का शानदार आयोजन किया गया था. देश-विदेश के खिलाड़ियों ने इस स्टेडियम की काफी तारीफ भी की थी. ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर वाला स्टेडियम देश के किसी भी राज्य में नहीं है. इसलिए भी खिलाड़ी इस कॉम्प्लेक्स में आने के बाद काफी सुकून महसूस करते थे और इसकी तारीफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने लगी थी.


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मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्समें कुल 9 स्टेडियम

मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुल 9 स्टेडियम का निर्माण कराया गया. स्टेडियम के अलावा एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग के साथ एक वीआईपी गेस्ट हाउस भी इसी कैंपस में मौजूद है. यहां के तमाम स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं. लगातार इस स्टेडियम में कोई ना कोई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल का आयोजन होता रहा है. बिरसा मुंडा स्टेडियम जहां 35 हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता है. यह मुख्य एथलेटिक्स स्टेडियम है. शहीद टिकैत उरांव सिंह शूटिंग स्टेडियम में 2 हजार दर्शक एक साथ बैठकर खेल का आनंद ले सकते हैं. यहां शूटिंग इवेंट्स आयोजित किए जाते हैं. वॉलीबॉल और बॉस्केटबॉल के साथ-साथ कराटे के लिए टाना भगत इंडोर स्टेडियम है. यहां भी 2 हजार दर्शक एक साथ बैठ सकते हैं. वीर बुधु भगत एक्वेटिक स्टेडियम की क्षमता 4 हजार दर्शकों की है. यहां स्विमिंग इवेंट आयोजित किए जाते हैं. शहीद गणपत राय इंडोर स्टेडियम में 2 हजार दर्शकों की क्षमता है. यहां रेसलिंग और ताइकवांडो का आयोजन किया जाता है. वहीं, सिदो कान्हो स्टेडियम, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव इंडोर स्टेडियम भी यहां मौजूद है. हालांकि हॉकी फुटबॉल और आर्चरी का स्टेडियम इस कैंपस में नहीं है. मोरहाबादी में हॉकी और फुटबॉल स्टेडियम है. इसकी देखरेख का जिम्मा भी सीसीएल को ही दिया गया है, लेकिन इन स्टेडियम की देखभाल कितनी जिम्मेदारी से जेएसएसपीएस कर रहा है यह आपके सामने है.

ईटीवी भारत ने लिया जायजा

ईटीवी भारत की टीम जब इसकी पड़ताल करने मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पहुंची तब स्थिति काफी दयनीय दिखी. बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम का हाल तो काफी खराब है. मेंटेनेंस के अभाव में कई महंगे उपकरण खराब हो रहे हैं. वहीं, ट्रैक बचाव के लिए रेलिंग वाल भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर जमींदोज हो गई है. इसके अलावा इस परिसर में स्थित तमाम स्टेडियम में कुछ ना कुछ समस्याएं जरूर दिखीं. साफ तौर पर मेंटेनेंस का अभाव इन स्टेडियम में देखने को मिला. कहीं फॉल सीलिंग पूरी तरह नीचे उखड़कर गिर रही है, तो कहीं दरवाजे में दीमक लग गए हैं. करोड़ों रुपयों की लागत से बने इस स्टेडियम के दरवाजों में ताले की जगह रस्सी बंधी है. पूरे स्टेडियम का इंफ्रास्ट्रक्चर बर्बाद हो रहा है, लेकिन सीसीएल की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. वहीं, शूटिंग रेंज की हालत तो सबसे ज्यादा खराब है. यहां की छत की फॉल सीलिंग पूरी तरह खराब होकर नीचे गिर रही है. कुल 60 टारगेट करोड़ों रुपए खर्च कर इस इनडोर स्टेडियम के अंदर बनाए गए हैं. 60 टारगेट में से 40 से अधिक टारगेट को दीमक चाट गया है. यहां तक की लाइट की भी समुचित व्यवस्था यहां नहीं है.

खिलाड़ी ने बयां किया दर्द

खिलाड़ी रंजन कुमार के मुताबिक, वो अपने घर से पंखा लेकर इस वर्ल्ड लेवल के स्टेडियम में आते हैं और प्रैक्टिस करते हैं. इस इंडोर स्टेडियम में खिलाड़ी सूट पहनकर प्रैक्टिस करते हैं और बिना एसी के सूट पहनकर यहां प्रैक्टिस करना काफी मुश्किल होता है. यहां की एसी भी पूरी तरह खराब है. लाइट आती जाती रहती है. लाइट कट जाने पर अपनी राइफल लेकर वह घर के लिए निकल जाते हैं. कुल मिलाकर कहें तो यह स्टेडियम बद से बदतर हो गया है. यह खिलाड़ियों के लिए खेलने योग्य रहा ही नहीं है. अधिकारियों की उदासीनता के कारण स्टेडियम इन दिनों बदहाली का रोना रो रहा है. जबकि इस स्टेडियम के मेंटेनेंस में हर साल लगभग 10 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जाती है. इसके बावजूद इस कॉम्प्लेक्स की हालत क्या है वह आपके सामने है. पूरे परिसर में लगाए गए फायर सिस्टम भी खराब पड़े हैं. यहां तक कि इसकी एक्सपायरी की ओर भी किसी का ध्यान नहीं है. कई ऐसे कीमती इक्विपमेंट हैं, जो खराब हो रहे हैं.

खेल निदेशक ने भेजी रिपोर्ट

स्टेडियम के पूरे मामले को लेकर जांच में जुटे अधिकारी खेल मंत्रालय के खेल निदेशक अनिल कुमार सिंह कहते हैं कि पूरे मामले को लेकर उच्च स्तरीय जांच की जा रही है. इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी गई है.

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