रांची: झारखंड में कोविड-19 संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों को अब मरीजों के साथ-साथ परिजनों की सुविधाओं और उनकी मानसिक स्थिति का भी ख्याल रखना होगा. कोविड-19 अस्पताल सरकारी हों या प्राइवेट अगर वहां कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है तो वहां परिजनों का ख्याल रखना अस्पताल की जिम्मेदारी होगी.
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अस्पताल के बाहर परिजनों के बैठने की हो अच्छी व्यवस्था
कोविड-19 अस्पताल के बाहर परिजनों के बैठने की व्यवस्था कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से अस्पताल को ही करना होगा. ये ऐसी जगह होनी चाहिए जहां संक्रमण के फैलने की संभावना न हो. कोरोना मरीजों के परिजनों के लिए पीने का पानी, बाथरूम और अन्य सुविधाएं भी अस्पताल को हर हाल में देनी होगी. अस्पताल परिसर में पर्याप्त टेलीफोन की व्यवस्था प्रबंधन को करनी होगी ताकि परिजन अपने-अपने वार्ड में भर्ती अपने मरीजों से स्वास्थ्यकर्मियों के माध्यम से बात कर सकें.
डीसी, सिविल सर्जन और निजी अस्पतालों के प्रबंधन को पत्र
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सह विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह ने राज्य के सभी उपायुक्त, मेडिकल कॉलेज, सिविल सर्जन और निजी अस्पतालों के प्रबंधन को इस संदर्भ में पत्र लिखा है. अपने पत्र में अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव ने कहा है कि संक्रमितों की अत्यधिक संख्या, उनकी मानसिक स्थिति, उनके साथ अस्पताल तक आने वाले सहयोगी और परिवार के सदस्यों की चिंता कम करने के लिए यह आवश्यक है कि रोगियों के साथ-साथ उनके परिजनों का भी ख्याल रखा जाए. रोगियों से उनके परिजनों का संवाद हो और आवश्यक चिकित्सा संवाद भी परिजन कर सकें जिससे उनके तनाव को कम किया जा सके और उन्हें सामान्य स्थिति में रखा जा सके.
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परिजन को मिलेगी हर दिन की जानकारी
अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एके सिंह ने सभी कोरोना अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह एक वरीय चिकित्सक को इस काम के लिए अधिकृत करें जो हर दिन पूर्व घोषित समयावधि में इच्छुक परिजनों को उनके मरीजों के स्वास्थ्य संबंधी पूर्ण जानकारी से अवगत कराए.
सभी अस्पताल यह सुनिश्चित करेंगे कि दिन में कम से कम एक बार परिजन अपने मरीज से ऑडियो/वीडियो कॉल के माध्यम से बात कर सकें. अपर मुख्य सचिव ने सभी अस्पतालों में यह व्यवस्था सुनिश्चित करने की रिपोर्ट 12 मई तक भेजने को कहा है.
सरकार ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों के परिजनों के लिए यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि दूर-दूर से अपने परिजनों का इलाज कराने आने वाले परिजनों के लिए बैठने और पानी तक की व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन नहीं कर रहा था और तो और हर दिन उसके मरीज की स्थिति क्या है यह बताने वाला कोई नहीं होता था जिसकी वजह से परिजन 24 घंटे तनाव में रहे करते थे.