रांची: इतिहासकारों का कहना है झारखंड गठन की परिकल्पना सबसे पहले जयपाल सिंह मुंडा ने की थी. धीरे-धीरे उनके सपने ने एक आंदोलन का रूप लिया फिर कारवां आगे बढ़ा. जिसमें दिशोम गुरु शिबू सोरेन, निर्मल महतो, एके राय जैसे आंदोलनकारी नेताओं ने बढ़-चढ़कर झारखंड को अलग करने में अहम भूमिका निभाई.
2000 में बना अलग राज्य
ऐसा माना जाता है झारखंड आंदोलन देश के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन था. राज्य के गठन को लेकर आंदोलन चलता रहा. कई आंदोलनकारी नेताओं ने आहुति दी तो कईयों ने अहम भूमिका निभाई. तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने 15 नवंबर 2000 को इस राज्य के गठन को लेकर अंतिम मुहर लगाई. अलग राज्य के आंदोलन में हजारों आंदोलनकारियों ने अपना बलिदान दिया था. लेकिन सबसे अग्रिम भूमिका निभाने वाले में दिशोम गुरु शिबू सोरेन, निर्मल महतो, एके राय जैसे नामचीन नाम सबके जेहन में हैं.
2 हजार से अधिक आंदोलनकारियों ने लिया हिस्सा
हालांकि पूरे राज्य में ऐसे आंदोलनकारियों की संख्या 2000 से अधिक है. आंदोलन का कारवां लगातार बढ़ता गया और कई संगठनों का गठन भी होता रहा. लोग जुड़ते गए और अलग राज्य के सपने को लेकर आंदोलनकारी अपनी आहुति देते रहें. सबसे पहले 1938 में झारखंड पार्टी का गठन 28 दिसंबर को अलग राज्य की परिकल्पना को लेकर हुई थी. फिर 1951 में झारखंड पार्टी की विधानसभा में दस्तक हुई. 1967 में विनोद बिहारी महतो ने शिवाजी समाज नामक संगठन शुरू किया और विनोद बिहारी महतो ने भी बिहार से अलग एक राज्य का सपना देखा. 1969 में शिबू सोरेन द्वारा सोनत संथाल समाज की स्थापना की गई.1972 में विनोद बिहारी महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया. वहीं 1986 में निर्मल महतो ने ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट यूनियन का गठन किया गया.