रांची: कभी तमाड़ की जनता पर बुलेट के खौफ के बल पर राज करने वाला कुंदन अब बैलेट के जरिये तमाड़ की जनता का हितैषी बनना चाहता है. अपनी इस हसरत को पूरा करने के लिए पूर्व नक्सली कमांडर कुंदन पाहन ने तमाड़ विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सोमवार को नामांकन किया. हजारीबाग ओपन जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच नामांकन के लिए कुंदन पाहन को रांची लाया गया और फिर नामांकन कराकर वापस कड़ी सुरक्षा के बीच भेज दिया गया. नामांकन प्रक्रिया के दौरान कुंदन पाहन हथकड़ियों में जकड़ा रहा.
रक्तचरित्र है कुंदन की कहानी
सन 1999 के आस-पास की बात है, झारखंड के खूंटी जिले के एक गांव में नक्सली नेताओं की मीटिंग चल रही थी. उस समय तक सीपीआई माओवादी का गठन नहीं हो पाया था. उस समय उग्रवादियों के एक ग्रुप माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (MCC) का प्रभाव हुआ करता था. उग्रवादियों की मीटिंग खत्म होने के बाद वहां पर 16 साल का एक लड़का आया जिसे पुलिस से इंसाफ नही मिला था. उस लड़के की जमीन पर रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया था. वो मारपीट और झगड़े से परेशान होकर जंगल की तरफ भाग तथाकथित बंदूक के बल पर इंसाफ दिलाने वालों के पास पहुंचा था.
मामूली नक्सली कैडर से बना जोनल कंमाडर
नक्सली नेताओं ने उसे जमीन वापस दिलाने का वायदा किया और उसे जमींदारों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ने और संगठन में शामिल होने की बात कही. इस तरह 16 साल का लड़का खून से रक्त रंजित नक्सल आंदोलन में शामिल हो गया. आगे चलकर यही लड़का कुंदन पाहन के नाम से कुख्यात हुआ. संगठन में शामिल होने के बाद कुंदन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक मामूली नक्सली कैडर से नक्सल जीवन की शुरुआत करने वाला ये शक्स भाकपा माओवादी में जोनल कमांडर बन बैठा.
ये भी पढ़ें- सरयू राय ने किया नॉमिनेशन, कहा- समर्थन में जमशेदपुर आएंगे नीतीश कुमार
1999 से 2017 तक रहा आतंक का दूसरा नाम
साल 1999 में संगठन में शामिल होने के बाद कुंदन झारखंड के नक्सल इतिहास में आतंक का दूसरा नाम बन गया. मात्र एक तस्वीर के बल पर झारखंड पुलिस उसे 18 सालों तक खोजती रही. इस दौरान कुंदन पर हत्या, डकैती सहित 128 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे. जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद सुनील महतो, पूर्व मंत्री और विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार सहित छह पुलिसकर्मी और स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या का आरोप कुंदन पर है. इतना ही नहीं तमाड़ में एक निजी बैंक के पांच करोड़ रुपये और एक किलो सोना लूटने में भी कुंदन पाहन मुख्य आरोपी था. कुंदन पाहन पर डीएसपी और इंस्पेक्टर की हत्या समेत खूंटी जिले में 50, रांची में 42, चाईबासा में 27, सरायकेला में 7 और गुमला में एक मामला दर्ज हैं.
पहली बड़ी वारदात
पंच परगना क्षेत्र में कुंदन की हुकूमत 2001 से ही चलने लगी थी, इस दौरान उसने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया. लेकिन 2007 के मार्च महीने में कुंदन ने एक ऐसी वारदात को अंजाम दिया. जिसकी वजह से वह पूरे देश के लिए वांटेड हो गया, 4 मार्च 2007 पूरा देश होली की खुशियां मनाने में मशगूल था. उसी समय कुंदन के इशारे पर उसके दस्ते के नक्सलियों ने जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद सुनील महतो, सांसद के दो बॉडीगार्ड और एक स्थानीय नेता को मौत के घाट उतार दिया. स्वर्गीय सुनील महतो उस वक्त जमशेदपुर से जेएमएम के सांसद हुआ करते थे. उन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ अभियान चलाकर कई गांवों में नागरिक सुरक्षा समिति नाम का संगठन खड़ा किया. इससे नक्सलियों के जनसमर्थन में तेजी से गिरावट देखी जाने लगी. सुनील महतो के प्रभाव को कम करने के लिए एक बेहद भीड़भाड़ वाले इलाके में उनकी जुबान को कारतूस से भेद कर हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया.
30 जून 2008 को डीएसपी सहित पांच जवानों की हत्या
30 जून 2008 को रांची के बुंडू थाना क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के लिए डीएसपी प्रमोद कुमार दल-बल के साथ निकले थे. इस अभियान में सीआरपीएफ की टीम भी रांची पुलिस के साथ थी. सर्च ऑपरेशन के दौरान टीम को कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी जिसके बाद सभी अभियान खत्म कर तमाड़ पुलिस स्टेशन की ओर लौट रहे थे. पुलिस स्टेशन से मात्र चार किलोमीटर पहले एक पुलिया के पास नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट किया. इस विस्फोच में डीएसपी प्रमोद कुमार के अलावा चार और पुलिस वाले वीरगति को प्राप्त हुए. पुलिस के खिलाफ इस कार्रवाई की प्लानिंग भी कुंदन पाहन ने की थी.
9 दिन बाद ही तत्कालीन विधायक की हत्या
रांची पुलिस अभी अपने जांबाज डीएसपी और 4 जवानों की मौत से उबरी भी नहीं थी की कुंदन और उसके कुख्यात नक्सलियों ने 9 जुलाई 2008 को तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा की गोली मारकर हत्या कर दी. अर्जुन मुंडा सरकार में मंत्री रहे रमेश सिंह मुंडा बुंडू में एसएस हाईस्कूल में प्रतिभा सम्मान समारोह में शरीक होने गए थे. इसी दौरान घात लगाकर कुंदन और उसके साथियों ने रमेश सिंह मुंडा पर हमला किया और उनके साथ-साथ उनके 3 साथियों को भी मार डाला.
ये भी पढ़ें-सुदेश महतो ने सिल्ली विधानसभा सीट के लिये किया नॉमिनेशन, JMM उम्मीदवार सीमा महतो से होगी सीधी टककर
स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर को अगवा कर मार डाला
सरेआम विधायक की हत्या के बाद कुंदन के खिलाफ पुलिस और केंद्रीय बलों ने जंग छेड़ दिया. इस दौरान कुछ दिनों तक कुंदन को भूमिगत होना पड़ा लेकिन साल 2009 के सितंबर महीने में उसने स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार को खूंटी से अगवा कर लिया. लगभग 10 दिनों तक बंधक बनाए रखने के बाद कुंदन ने बड़ी ही बेरहमी से फ्रांसिस इंदवार की हत्या कर दी. फ्रांसिस इंदवार का शव 6 अक्टूबर को अड़की थाना क्षेत्र स्थित राईसा घाटी के पास से मिला. उनका सिर उनके शरीर से 10 फीट दूर रखा हुआ था, जिस किसी ने भी उस दृश्य को देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए.
5 मई 2008 को लूट लिया 5 करोड़
5 मई 2008 को एक तरफ निर्दलीय मधु कोड़ा के सरकार के खिलाफ बीजेपी का जोरदार आंदोलन रांची में चल रहा था. आंदोलन को संभालने में पुलिस के पसीने छूट रहे थे तभी यह खबर आई कि तमाड़ में नक्सलियों ने आईसीआईसीआई बैंक के कैश वैन को लूट लिया जिसमें 5 करोड़ रुपए और 1 किलो सोना था. इस वारदात को कुंदन ने खुद अंजाम दिया था और सारे पैसे उसने खुद ही रख लिए. कुंदन के वैसे साथी जो उससे पहले आत्मसमर्पण कर चुके थे उन्होंने इस खबर की पुष्टि भी की थी कि कुंदन ने 5 करोड़ के लालच में पूरे संगठन को धोखा दे दिया. कहा तो यह भी जाता है कि इस घटना के बाद से ही कुंदन पाहन को संगठन से बाहर कर दिया गया था. जिसके बाद वह लगातार जंगलों में भटकता रहा. लेकिन इसके बावजूद उसने साल 2017 तक अपनी गिरफ्तारी के पुलिस के सभी प्रयास पर पानी फेरते रहा और आखिरकार खुद से सरेंडर कर मुख्यधारा में जुड़ने का फैसला किया. कुंदन पाहन खूंटी के अड़की थाना क्षेत्र के बारीगढ़ा गांव का रहनेवाला है. कुंदन के साथ उसके दो भाई भी संगठन में थे जिनमें से एक खूंटी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुका था तो एक हरियाणा से पकड़ा गया था, कुंदन के दो बच्चे भी हैं.
साजिशकर्ता, हत्यारा और विक्टिम का बेटा तीनों अजमा रहे तमाड़ से किस्मत
झारखंड विधानसभा चुनाव में तमाड़ विधानसभा पर सबकी नजरें टिकी हुई है. यह वह विधानसभा क्षेत्र है. जहां से झारखंड के मुख्यमंत्री तक चुनाव हार चुके हैं, इस विधानसभा क्षेत्र से कुंदन पाहन सहित तीन ऐसे उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जो एक स्कूल में नक्सल हथियारों से निकले खून के छींटे की वजह से एक दूसरे से ताल्लुक रखते हैं. तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या के साजिशकर्ता राजा पीटर, हत्या करने वाले पूर्व नक्सली कमांडर कुंदन पाहन और स्वर्गीय रमेश सिंह मुंडा का बेटा विकास तीनों इस सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. तीनों ने ही तमाड़ विधानसभा सीट से अपना-अपना नॉमिनेशन फाइल कर दिया है. अब गेंद तमाड़ की जनता के पाले में की वह किसके सर ताज पहनाती है.