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कहानी झारखंड के उस खिलाड़ी की जिनके नेतृत्व में हिंदुस्तान ने जीता था पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल

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Published : Jul 23, 2021, 9:22 AM IST

आज से टोक्यो ओलंपिक का आगाज हो रहा है. इस मौके पर हम आपको झारखंड के उस खिलाड़ी की कहानी बता रहे हैं जिनके नेतृत्व में हिंदुस्तान ने पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता था. उनका नाम है जयपाल सिंह मुंडा और वे झारखंड के खूंटी जिले से ताल्लुक रखते थे.

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जयपाल सिंह मुंडा

रांची: खेलों का महाकुंभ यानि ओलंपिक आज से टोक्यो में शुरू हो रहा है. पूरे देश की नजर भारतीय खिलाड़ियों पर है और एक बार फिर हम सभी गोल्ड की आस लगाए बैठे हैं. झारखंड की तीन बेटियां भी दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. तीरंदाज दीपिका कुमारी गोल्ड के लिए निशाना लगाएंगी, वहीं निक्की प्रधान और सलीमा टेटे देश को गोल्ड दिलाने के लिए हॉकी में गोल दागने को तैयार हैं. झारखंड के साथ-साथ पूरे देश की नजर इन खिलाड़ियों पर है. ओलंपिक खेलों की शुरुआत हो रही है और आज हम आपको उस खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाया था. उस महान खिलाड़ी का नाम है जयपाल सिंह मुंडा और वे झारखंड के खूंटी जिले से ताल्लुक रखते थे.

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जयपाल सिंह ने किया था हॉकी टीम का नेतृत्व
1928 का ओलंपिक नीदरलैंड के एम्स्टर्डम में खेला गया था. भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व कर रहे थे जयपाल सिंह मुंडा. भारत का पहला मैच ऑस्ट्रिया से था पहले ही मैच में भारत ने जबरदस्त जीत हासिल कर अपने इरादे जता दिए. भारत ने ऑस्ट्रिया को 6-0 से मात दी. भारत का दूसरा मैच बेल्जियम के साथ था और टीम ने 9-0 से जीत हासिल की. डेनमार्क को 5-0 से रौंदने के बाद भारत सेमीफाइनल में पहुंचा जहां मुकाबला स्विटजरलैंड से होना था.

विरोधी टीम को नहीं दागने दिया एक भी गोल
भारतीय टीम की जीत का रथ बढ़ता गया और टीम ने स्विटजरलैंड को 6-0 रौंद फाइनल में जगह पक्की की. फाइनल में भारतीय टीम का मुकाबला हॉलैंड से था. हॉलैंड को 3-0 से हराकर भारतीय टीम ने न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि ओलंपिक के इतिहास में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया. उस वक्त के भारतीय खिलाड़ियों के जज्बे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय टीम ने किसी भी मैच में अपने विरोधियों को एक भी गोल नहीं दागने दिया.

टूर्नामेंट में नहीं शामिल हुआ था इंग्लैंड, डर था कहीं भारत हरा न दे
1928 में हुए ओलंपिक के दौरान भारत अंग्रेजों का गुलाम था और सबसे बड़ी बात है कि उस साल इंग्लैंड ने टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था. उस समय इस बात की चर्चा थी कि इंग्लैंड ने टूर्नामेंट में इसलिए भाग नहीं लिया क्योंकि उन्हें डर था कि उनका गुलाम देश कहीं उन्हें मैच में न हरा दे.

जयपाल सिंह का जीवन परिचय
3 जुलाई 1903 को खूंटी जिले के टकराहातू गांव में जन्मे जयपाल सिंह मुंडा की शुरुआती पढ़ाई रांची के संत पॉल स्कूल में हुई थी. उनकी प्रतिभा को देखते हुए तत्कालीन प्राचार्य रेव्ह कैनन कसग्रेवे ने उन्हें उच्चतम शिक्षा हासिल करने के लिए इंग्लैंड भेजा था. ऑक्सफोर्ड ब्लू का खिताब पाने वाले वे हॉकी के एकमात्र खिलाड़ी थे, यह उपाधि उन्हें 1925 में मिली.

जीवन भर आदिवासियों के लिए उठाई आवाज
जयपाल सिंह मुंडा का चयन आईसीएस(इंडियन सिविल सर्विस) में हुआ था. हालांकि उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी नहीं की. 1938 में वो आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बने. वहीं से उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने की मांग की. आदिवासियों के हित में उन्होंने अपनी बातें सकारात्मक ढंग से सबके सामने रखी. 1952 में जयपाल सिंह मुंडा लोकसभा चुनाव जीतकर खूंटी से सांसद बने. वे तीन बार सांसद चुने गए. जीवनभर उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया.

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