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राजस्थान में सियासी हलचल का झारखंड में इंपैक्ट, कमजोर कड़ियों को सेक्योर करने में लगी पार्टियां - BJP has 26 MLAs in Jharkhand

राजस्थान में सत्ता के गलियारे में उठे राजनीतिक तूफान का असर झारखंड में भले ही प्रत्यक्ष रूप से न पड़े, लेकिन वहां हुई हलचल के बाद प्रदेश के राजनीतिक दल अपनी-अपनी कमजोर कड़ियों को मजबूत करने में जुट गए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि झारखंड में क्षेत्रीय राजनीतिक दल कथित तौर पर 'राज्य हित' का हवाला देकर कभी एनडीए तो कभी यूपीए का हाथ पकड़कर आगे बढ़ते रहे हैं.

impact of Rajasthan politics in Jharkhand
बीजेपी ऑफिस

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Published : Jul 14, 2020, 4:11 PM IST

रांचीःराजस्थान में सत्ता के गलियारे में उठे राजनीतिक तूफान का असर झारखंड में भले ही प्रत्यक्ष रूप से न पड़े लेकिन वहां हुई हलचल के बाद प्रदेश के राजनीतिक दल अपनी-अपनी कमजोर कड़ियों को मजबूत करने में जुट गए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि झारखंड में क्षेत्रीय राजनीतिक दल कथित तौर पर 'राज्य हित' का हवाला देकर कभी एनडीए तो कभी यूपीए का हाथ पकड़कर आगे बढ़ते रहे हैं. प्रदेश में फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में महागठबंधन वाली सरकार चल रही है जिसमें कांग्रेस और राजद हिस्सेदार हैं, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा, बीजेपी के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में 2010 में बनी सरकार में हिस्सेदार रही है. उस वक्त जेएमएम और बीजेपी में कथित तौर पर 28-28 महीने सरकार चलाने का करार हुआ था. जबकि उससे पहले जेएमएम निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के सरकार को अपना समर्थन दे चुका है.

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बीजेपी ने झाड़ा पल्ला कहा कांग्रेस का अंदरूनी मामला

हालांकि, राजस्थान में हुई उठापटक को बीजेपी कांग्रेस का अंदरूनी मामला मानती है. पार्टी सूत्रों का यकीन करें तो बीजेपी के अंदरखाने भी वैसे लोगों पर नजर रखी जा रही है, जो दूसरे दल से पार्टी में शामिल हुए हैं और विधायक हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो वैसे श्रेणी में झारखंड विकास मोर्चा से बीजेपी में आए लोगों के नाम शामिल हैं.

जेएमएम में भी चल रहा है मंथन

ऐसी हालत झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर भी देखे जा रही है. दरअसल झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदरखाने इस बात को लेकर रस्साकशी चल रही है कि वहां पुराने नेताओं और नए नेताओं के बीच विचारधारा का अंतर कथित तौर पर देखने को मिल रहा है. खासकर संथाल परगना इलाके से आने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक इस बात को लेकर भीतर ही भीतर असंतुष्ट दिख रहे हैं. 2019 में हुए असेंबली इलेक्शन में संथाल परगना के 18 में से 9 सीटों पर जेएमएम को जीत मिली. एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी खामोश हैं. वहीं दूसरी तरफ बोर्ड और निगम को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में झामुमो के अंदर भी कुछ वैसे चेहरे हैं जो पार्टी के लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकते हैं.

कांग्रेस के विधायकों को लेकर भी है संशय

वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस पार्टी को राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में अब तक सबसे अधिक सीट मिली. 16 विधायकों का आंकड़ा हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी के पास झाविमो के दो विधायक भी शिफ्ट कर गए. पार्टी के अंदर खाने भी पलामू और रामगढ़ समेत संथाल परगना इलाके के कुछ विधायक ऐसे हैं जो कथित तौर पर कमजोर कड़ी साबित हो सकते हैं. बीते राज्यसभा चुनाव के दौरान जामताड़ा से विधायक इरफान अंसारी ने कई बार इस तरफ इशारा भी किया.

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बीजेपी, झामुमो और कांग्रेस के आसपास घूमती है सत्ता की धुरी
बीजेपी समेत कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ऐसे प्रमुख दल हैं जिनके विधायकों के इधर उधर शिफ्ट होने से राज्य की सत्ता में उतार चढ़ाव हो संभव है. इसके साथ ही झारखंड में दल बदल होता रहा है. आंकड़ों पर यकीन करें तो बीजेपी के पास बाबूलाल मरांडी को मिलाकर फिलहाल 26 विधायक हैं. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के अपने 29 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को मिलाकर 17 विधायकों के साथ मजबूत स्थिति में है. वहीं 2 विधायकों वाली आजसू पार्टी फिलहाल अलग लाइन लेंथ लेकर चल रही है, हालांकि आजसू का बीजेपी के साथ उसका सॉफ्ट कॉर्नर सर्वविदित है.

झारखंड विधानसभा की मौजूदा स्थिति में 81 इलेक्टेड विधायकों की जगह फिलहाल 79 विधायक है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 40 माना जा रहा है. राज्यसभा चुनाव के दौरान दो निर्दलीय विधायक और कथित तौर पर एक एनसीपी के विधायक का झुकाव बीजेपी की तरफ भी देखा गया. ऐसे में जोड़-तोड़ के आंकड़े में फिलहाल विपक्ष में बैठी बीजेपी मजबूत होने का दावा कर रही है.

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