रांची: हेरिटेज ऑड्रे हाउस आज भी ब्रिटिश शासन काल के वास्तुकारी की जीती जागती मिसाल बना है. इस हेरिटेज का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है, क्योंकि यह धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के केस की सुनवाई और सजा से भी जुड़ी रही है. यह हेरिटेज ऑड्रे हाउस उसका गवाह रहा है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा यहां आर्ट गैलरी का उद्घाटन भी ऐतिहासिक पल माना जाता है. साल 2018 में गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर को ऑड्रे हाउस का नाम बदलकर महात्मा गांधी स्मृति भवन कर दिया गया. सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसकी घोषणा की थी.
वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी राजधानी में स्थित ऑड्रे हाउस का इतिहास काफी दिलचस्प है. ऑड्रे हाउस का निर्माण छोटानागपुर के डिप्टी कमिश्नर कैप्टन हेनिंगटन ने गोथेल कला शैली में कराया था. जहां ब्रिटिश शासन खत्म होने के बाद शीतकालीन सत्र भी चला करता था. यही नहीं लॉ कमीशन, जैक कमीशन और कई कार्यालय भी यहां मौजूद थे. इसके साथ ही गवर्नर हाउस का सेक्रेटेरिएट भी यहां स्थापित था.
ऑड्रे हाउस के गैलरी अटेंडेंट अंजेश कुमार पाठक ने इसके इतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि 1854 ई. में यह बिल्डिंग बनी थी. उस समय ब्रिटिश गवर्नमेंट के छोटानागपुर डिप्टी कमिश्नर का यह आवास हुआ करता था. हालांकि वर्तमान में इसे आर्ट गैलरी के रूप में डेवलप किया गया है. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यहां मौजूद सभी विभागों की अलग-अलग बिल्डिंग बना दी गई. इस आर्ट गैलरी में झारखंड के कई पुरातत्व चीजों का संग्रह किया गया है और सबसे यूनिक खुद ऑड्रे हाउस है.
वहीं, ऑड्रे हाउस के केयरटेकर एमडी परवेज ने 163 साल पुराने ऑड्रे हाउस में आर्ट गैलरी के उद्घाटन को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि पहली बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां आर्ट गैलरी का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि बहुत कम ही ऐसे अवसर आते हैं, जब राष्ट्रपति द्वारा किसी आर्ट गैलरी का उद्घाटन हुआ हो. उन्होंने कहा कि आर्ट गैलरी देखकर लोगों में खासा उत्साह देखा जाता रहा है. इस आर्ट गैलरी में झारखंड के साहिबगंज और खरसावां से खुदाई में निकली मूर्तियां और कलाकृति भी रखी गई हैं, जो दसवीं और ग्यारहवीं सदी की हैं. साथ ही झारखंड के आर्टिस्ट द्वारा बनाई गई कई कलाकृतियां भी आर्ट गैलरी में रखी गई हैं.