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रांची के राजधानी बनने के गवाह रहे हैं हिंदपीढ़ी के लोग, 19 साल बाद भी नहीं सुलझी इनकी उलझन

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Published : Oct 16, 2019, 6:07 PM IST

राजधानी का पुराना और घनी आबादी वाला क्षेत्र कहा जाने वाला इलाका है हिंदपीढ़ी. यहां से नेताओं और मंत्रियों को काफी उम्मीदें रहती हैं. वहीं लोगों का कहना है कि राजधानी बनने के बाद किसी जनप्रतिनिधी ने यहां आकर उनकी समस्या नहीं सुलझायी है. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने लोगों से बातचीत की.

हिंदीपिढ़ी मोहल्ला की समस्या

रांची: राजधानी के बीचो-बीच बसा हिंदीपिढ़ी मोहल्ला रांची के पुराने मोहल्लों में से एक माना जाता है, इस इलाके में रहने वाले लोग ज्यादातर यहीं के हैं. हिंदपीढ़ी इलाके के लोगों ने रांची को पहले एक जिला और शहर से राजधानी बनते देखा है. राजधानी बनने के बाद यहां के लोगों ने इस मोहल्ले की विकास को लेकर कई उम्मीदें पाली थी, लेकिन राजधानी बनने के 19 साल बाद भी हिंदपीढ़ी इलाके के लोगों को आज भी कई रोजमर्रा की समस्या से जूझना पड़ता है.

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हिंदपीढ़ी मोहल्ला काफी घनी आबादी वाला क्षेत्र माना जाता है, इसीलिए इस मोहल्ले पर चुनाव के वक्त सभी जनप्रतिनिधियों की नजर रहती है. इस क्षेत्र में मुस्लिमों वर्ग की ज्यादा आबादी है, हालांकि हिंदपीढ़ी के कुछ इलाकों में हिंदुओं की भी घनी आबादी है.

हल्की बारिश में सड़क पर बहता है गंदा पानी
इलाके में घनी आबादी रहने के बावजूद भी इस इलाके के लोगों को रोजमर्रा की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. खासकर नाली की समस्या इस मोहल्ले में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. लोगों का कहना है कि हल्की बारिश होते ही नाली का गंदा पानी सड़क पर बहने लगता है.

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क्या है इलाके की समस्या
बता दें कि कुछ दिन पहले ही हुई बारिश ने एक छोटी बच्ची को मौत के मुंह में धकेल दिया था. दरअसल, नाली में ढक्कन नहीं होने के कारण मासूम बच्ची नाली में बह गई थी. उसके बावजूद भी नाली की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. जाम की समस्या, स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिक्कत, सड़क की समस्या, ड्रेनेज सिस्टम की समस्या, रोजगार और शिक्षा की समस्या सहित कई ऐसी समस्याएं हैं जिससे हिंदपिढ़ी के लोगों को अपना जीवन यापन करने में काफी दिक्कतें होती है.

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