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झारखंड हाई कोर्ट की कांट्रेक्टर को चेतावनी, 31 जनवरी तक पूर्ण हो सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निर्माण - रांची की खबर

रांची सदर अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में बदलने के मामले में आज झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कांट्रेक्टर को 31 जनवरी 2022 तक काम करने की चेतावनी दी है.

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झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Dec 22, 2021, 6:27 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में आज सदर अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में बदलने के मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में कांट्रेक्टरको 31 जनवरी 2022 तक हर हाल में निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया. कांट्रेक्टर पर सख्त रूख अपनाते हुए अदालत ने कहा कि अगर निर्धारित समय तक अस्पताल का निर्माण पूरा नहीं होता है तो सरकार को एक्शन लेने की छूट दी जाएगी.

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ओमीक्रोन कभी भी मचा सकती है तबाही

सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि ओमीक्रोन कभी भी आकर तबाही मचा सकती है. ऐसे में सभी तरह की तैयारी पूरी होनी चाहिए. इसलिए जितनी जल्दी हो निर्माण कार्य को पूरा करें ताकि आने वाले अनजान खतरे से निपटने में आसानी हो. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी. सुनवाई में संवदेक ने अदालत को आश्वस्त किया कि समय पर कार्य को पूरा कर लिया जाएगा.

क्या हुआ कोर्ट में

इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में राज्य सरकार के अधिवक्ता ने जानकारी दी कि 33 केवी का लाइन संवेदक को उपलब्ध करा दिया गया है. 33 केवी का लाइन नहीं होने की वजह से ही संवेदक को मशीन के इंस्टॉलेशन में दिक्कत हो रही थी. संवेदक ने भी लाइन मिल जाने की बात को स्वीकार किया और कहा कि अस्पताल का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है. ऑडिटोरियम के काम को छोड़कर शेष काम 31 जनवरी तक पूर्ण कर लिए जाएंगे.

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कोर्ट की संवेदक को चेतावनी

अदालत ने संवेदक को कहा कि यह अंतिम मौका है और चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय पर काम पूरा नहीं हुआ तो सरकार आप पर एक्शन लेगी. पूर्व में सरकार एक्शन ले रही थी तो हमने रोक लगाया था. इस बार हम छूट देंगे कि वह एक्शन ले.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि रांची सदर अस्पताल को 500 बेड के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बदलने की सरकार की योजना थी. इस योजना के तहत भवन का निर्माण कर लिया गया लेकिन अस्पताल को ऑपरेशनल नहीं किए जाने के बाद ज्योति शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अस्पताल को ऑपरेशनल बनाने की मांग की. हाई कोर्ट के कई आदेश के बाद राज्य सरकार की ओर से अंडरटेकिंग देकर कहा गया था कि अस्पताल को ऑपरेशनल बना दिया जाएगा. सरकार के जवाब पर हाईकोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दिया. समय सीमा के बाद भी कार्य पूर्ण नहीं होने के बाद अवमानना वाद याचिका दायर की गई. उसी याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.

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