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जड़ से काम करेगी सरकार, विकास के नाम पर नहीं खोदे जाएं गड्ढे: सीएम

ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट में सामुदायिक वन अधिकार कानून 2006 के प्रभावी इंप्लीमेंटेशन और विकास विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम हेमंत सोरेन. सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार जड़ से काम करना चाहती है. उन्होंने कहा कि जब तक जड़ मजबूत नहीं होगी, विकास नहीं होगा.

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सीएम हेमंत सोरेन

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Published : Feb 21, 2020, 5:08 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा उनकी सरकार जड़ से काम करना चाहती है. उन्होंने कहा कि जब तक जड़ मजबूत नहीं होगी विकास नहीं होगा, केवल कागज पर विकास हो यह सही नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमारी का पता चले तब उसी के आधार पर काम किया जाता है. सरकारी योजनाओं के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा की उन्हें पता चल रहा है कि विकास के नाम पर पैसे खर्च हो रहे हैं. इतना ही नहीं बड़ी राशि सरेंडर भी हो रही है. हैरत की बात यह है कि एक ही प्रोग्राम को कई विभाग चला रहा है. ऐसे में नतीजा सिफर हो रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी बजट सेशन के बाद सरकार का कामकाज देखने को मिलेगा. दरअसल, सोरेन ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट में सामुदायिक वन अधिकार कानून 2006 के प्रभावी इंप्लीमेंटेशन और विकास विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे.

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'केवल प्राकृतिक संसाधन की वजह से हैं कई राज्य अग्रणी'

सीएम ने कहा कि देश के कई राज्य ऐसे हैं जिनके पास केवल प्राकृतिक संपदा है और वह अग्रणी हैं. केरल और गोवा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने लोग समय निकालकर जाते हैं. जबकि झारखंड में एक तरफ जहां प्राकृतिक संपदा है, वहीं दूसरी तरफ खनिज भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि दरअसल जंगल में उपलब्ध प्राकृतिक संपदा कानूनी अड़चनों में फंसकर रह जाती है. कई बार ऐसी बात उनके सामने भी आई है. सोरेन ने कहा कि झारखंड के जंगल में पाया जाने वाला महुआ वहां रहने वाले लोग बाहर बाजार में बेचने चले आते थे, लेकिन कानूनी अड़चनों की वजह से महुआ बेचने के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा. ऐसे में लोगों ने महुआ के पेड़ काटने शुरू कर दिए. उन्होंने कहा कि हम ऐसे समय में चर्चाएं करते हैं, जब समस्याएं बढ़ जाती हैं. जबकि इन विषय पर काफी पहले डिस्कशन होना चाहिए.

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ओडिशा सरकार ने पत्तल में खिलाने के लिए हैं निर्णय
उन्होंने कहा कि अपनी प्राकृतिक व्यवस्था को सुरक्षित रखते हुए कैसे वहां रहने वाले लोगों के जीवन उपार्जन व्यवस्था की जाए इसकी जरूरत है. उन्होंने ओडिशा का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी जानकारी के मुताबिक ओडिशा सरकार ने आदेश निकाला है कि राज्य सरकार के कार्यक्रम में खाने पीने की व्यवस्था पत्ते से बने प्लेटों में होगी. इससे एक तरफ पर्यावरण का संरक्षण होगा. वहीं दूसरी तरफ लोगों को रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि जंगलों में पाई जानेवाली चीजों का खुद उन्होंने सेवन किया है इसलिए वह इस से भली-भांति परिचित हैं.

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'विकास के नाम पर गड्ढे नहीं बने'
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की दौड़ में लोग पर्यावरण का नुकसान करते जा रहे हैं. पंजाब और हरियाणा में केमिकल डालकर खेती की जा रही है. जिसका असर लोगों के जीवन पर भी पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में भी है यह शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास होना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि विकास के नाम पर गड्ढे नहीं खोदे जाएं. उन्होंने कहा कि 80 के दशक में रांची में पंखे की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन अब एयर कंडीशनिंग मशीन लगानी पड़ रही है.

'पीएम भी खाते हैं मशरूम'
सोरेन ने कहा कि अभी के दौर में जो मशरूम हम खाते हैं, वह फैब्रिकेटेड तरीके से पैदा किया जाता है. जबकि जंगलों में बड़ी मात्रा में उत्पादित होता है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री भी मशरूम खाते हैं, लेकिन किस देश से आता है, यह नहीं पता.

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'राज्य सरकार कार्ययोजना तैयार कर रही'
इस मौके पर कल्याण विभाग की सचिव हिमानी पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक 58,000 इंडिविजुअल पट्टे लोगों को दिए हैं. साथ ही 2500 कम्युनिटी पट्टे दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यूएनडीपी के साथ मिलकर राज्य सरकार कार्ययोजना तैयार कर रही है. दो दिवसीय संगोष्ठी में अलग-अलग राज्यों से आए लोग इस विषय पर अपने अनुभव शेयर करेंगे.

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