रांची:अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए जेल मैनुअल आज भी झारखंड की जेलों में चल रहे हैं. ब्रिटिश कालीन प्रिजनर्स एक्ट 1894 और प्रिजनर्स एक्ट 1900 के आधार पर बने नियम कानून के तहत झारखंड की जेलों में प्रशासनिक काम चल रहे हैं. इन नियमों के तहत जेलों का कामकाज भले ही कराया जा रहा हो, मगर कई ऐसे मौके आते हैं, जब जेल प्रशासन नियमों की जटिलता और क्राइम के बदलते रूप के आगे कार्रवाई करने में हाथ पीछे कर लेता है. समय की मांग को देखते हुए अब राज्य सरकार इसमें बदलाव की तैयारी कर रही है. जेल मैनुअल में बदलाव का मसौदा तैयार कर गृह विभाग को जेल महानिरीक्षक कार्यालय ने भेज दिया है.
ये हो सकते हैं बदलाव
- कैदियों के पे रोल पर छूटने संबंधी नियम सख्त हो सकते हैं
- असमय कैदियों के छूटने के नियम में बदलाव हो सकता है
- जेल में कैदियों से मुलाकात के तौर तरीके में हो सकता है बदलाव
- जेलों में कैदियों के भोजन जाति विशेष के बजाय सामान्य रसोइया
- बाल कैदियों के लिए अलग से वार्ड और उनके मानसिक बदलाव के लिए विशेष प्रावधान की व्यवस्था
- समय के साथ क्राइम के बदलते रूप के अनुसार जेल मैनुअल में प्रावधान
- जेल के अंदर और जेल से छूटने के बाद तक की हिस्ट्री रखने का प्रावधान
गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट
जेल आईजी बीरेन्द्र भूषण की मानें, तो बदलते समय के साथ जेल मैनुअल में बदलाव आवश्यक है. अंग्रेजों के जमाने के जेल मैनुअल समय के साथ पुराने हो चुके हैं. गृह विभाग को रिपोर्ट भेज दी गई है. संभावना है कि सरकार जल्द ही इसपर निर्णय लेगी. जेल मैनुअल उल्लंघन को लेकर जेल प्रबंधन पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. इसके खिलाफ हाई कोर्ट ने भी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कई बार राज्य सरकार और जेल प्रबंधन को फटकार लगा चुकी है. हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद राज्य सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव की तैयारी शुरू की है.
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की जरूरत