रांचीः शुक्रवार को भारत बनाम न्यूजीलैंड (India vs NewZealand) के बीच होने वाले मैच को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. राजधानी सहित राज्य के दूरदराज के जिलों से लोग क्रिकेट मैच (Cricket Match) देखने आ रहे हैं. टिकट की अंधाधुंध बिक्री हो रही है. महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) को लेकर राजधानी के लोगों में क्रिकेट का एक अलग ही क्रेज है.
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लेकिन इन सबके बीच कोई है जो रांची में हो रहे मैच से खुश तो है. लेकिन कहीं ना कहीं उसे इस बात का अफसोस है कि आयोजन हो रहे मैच में आयोजनकर्ता के रूप में उनकी भी भागीदारी बनती थी. लेकिन उसे जेएससीए की तरफ से नजरअंदाज किया गया.
हम बात कर रहे हैं भारत सरकार की नामी-गिरामी संस्था हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (Heavy Engineering Corporation) की. एचईसी यानी हेवी इंजीनियरिंग संस्थान रांची के धुर्वा में स्थित है. धुर्वा में ही जेएससीए स्टेडियम (JSCA Stadium) का निर्माण किया गया है. मालूम हो कि जेएससीए स्टेडियम का निर्माण एचईसी की जमीन पर हुआ है. जमीन देने से पूर्व कई तरह के समझौते भी हुए थे. जिसमें कहा गया था कि अगर जेएससीए एचईसी की जमीन को स्टेडियम बनाने में उपयोग करता है तो एचईसी को भी इसका लाभ मिलना चाहिए. क्योंकि स्टेडियम में होने वाले क्रिकेट से काफी मुनाफा भी होता है.
जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता हितेश कुमार चौधरी एचईसी और जेएससीए के बीच हुई कई शर्तो के बाद स्टेडियम (Stadium) का निर्माण किया गया. ईटीवी भारत ने जब इसको लेकर पड़ताल की तो हमने जाना कि जेएससीए (JSCA) निर्माण से पहले एचईसी ने कई शर्तें रखी थी, जैसे क्रिकेट मैच से होने वाले मुनाफे का 5 फीसदी एचईसी को दिया जाए. वहीं ईटीवी भारत (Etv Bharat) की टीम ने जब पूरे मामले पर एचईसी के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो सभी अधिकारियों ने कैमरे पर कुछ भी कहने से मना कर दिया. लेकिन उन्होंने ऑफ द कैमरा अपना दुख बयां करते हुए कहा कि आज एचईसी की जमीन पर जेएससीए का निर्माण हो गया लेकिन इसका लाभ एचईसी को कहीं से भी नहीं मिल पा रहा है.
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पूरे मामले पर हमने जब भी जेएससीए उपाध्यक्ष अजय नाथ शाहदेव (JSCA Vice President Ajay Nath Shahdev) से बात कि तो उन्होंने कहा कि जल्द ही पूरे मामले पर निर्णय हो जाएगा एचईसी के जो भी मुद्दे हैं उस पर भी बात किया जाएगा. फिलहाल हमें मैच पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि रांची की धरती पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैच होना कहीं ना कहीं गौरव की बात है.
जानकारी देते जेएससीए उपाध्यक्ष एचईसी के विश्वसीनीय सूत्रों ने बताया कि पूर्व में हुए मैच में भी जेएससीए के तरफ से एचईसी को कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया जा रहा था. यहां तक कि एचईसी की तरफ से पार्किंग के लिए अलॉट करायी गयी जमीन का भी पैसा सिर्फ नाम मात्र मिलता था. एचईसी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब जेएससीए ने समझौते को मानने से मना कर दिया तो एचईसी ने झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) का दरवाजा खटखटाया. जिसमें हाई कोर्ट ने निर्णय लिया कि जब तक सभी मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच बेहतर तरीके से बातचीत नहीं हो जाती और सभी मामलों का निष्पादन नहीं हो जाता तब तक मैदान पर किसी भी तरह के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा.
पिछले वर्ष हुए मैच के बाद ही एचईसी और जेएससीए के बीच हुए लीज एग्रीमेंट पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए थे. एचईसी के गिरते हालात से हर कोई परिचित है, एचईसी अपने आर्थिक हालात को सुधारने के लिए दिनरात कोशिश कर रहा है. इसी को देखते हुए जेएससीए के साथ समझौते किए गए थे लेकिन जेएससीए ने समझौते को सही तरीके से नहीं लिया जिस पर एचईसी के अधिकारियों (HEC officials) ने आपत्ति भी दर्ज कराई है.