रांची: झारखंड राज्य फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) में रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के अधिकारी के कार्यकलाप पर काफी नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने सरकार से यह जानना चाहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो बिना कोर्ट से अनुमति के एफएसएल लैब में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए निकाला गया विज्ञापन को क्यों वापस लिया गया? किस परिस्थिति में वापस लिया गया? क्यों नहीं अदालत अवमानना चलाएं? इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.
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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से यह जानना चाहा कि विज्ञापन क्यों वापस ले लिया गया है? जिस पर सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार को यह अधिकार है कि वह विज्ञापन वापस ले सकता है, विज्ञापन में कुछ नियम में सुधार किया जाना था, इसलिए विज्ञापन को वापस लिया गया है. अदालत ने अधिवक्ता के जवाब पर काफी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो फिर हाई कोर्ट को बताए हुए या अनुमति लिए कैसे विज्ञापन वापस लिया जा सकता है? इसके लिए झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और सरकार पर अदालत का अवमानना करने जैसा प्रतीत होता है.
बिंदुवार जवाब पेश करने का आदेश
मामले में अदालत ने राज्य सरकार को विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने राज्य सरकार को यह भी बताने को कहा है कि, जब मामले की सुनवाई के दौरान गृह सचिव अदालत में उपस्थित थे. एफएसएल के डायरेक्टर भी अदालत में उपस्थित थे, उस समय में तो उन्होंने अदालत को कुछ भी जानकारी नहीं दी. लेकिन जब हाई कोर्ट के आदेश पर विज्ञापन निकाला गया तो उसमें सुधार का बहाना बनाकर उसे फिर से वापस ले लिया. सरकार का यह वापस लेने का रवैया पुराना है. यह सही नहीं है.
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