रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ मंगलवार (26 अक्टूबर) को झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई. बाबूलाल मरांडी की ओर से वरीय अधिवक्ता आर एन सहाय द्वारा रखे गए पक्ष पर प्रार्थी की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय मांगा गया है.
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जेवीएम का बीजेपी में विलय न्यायसंगत
बता दें कि बाबूलाल मरांडी की ओर से न्यायाधिकरण के समक्ष पिछली सुनवाई के दौरान पक्ष रखते हुए कहा गया था कि जेवीएम का भारतीय जनता पार्टी में विलय न्यायसंगत है. जिसपर भारत निर्वाचन आयोग ने भी मुहर लगाई है. राजकुमार यादव की याचिका पर जवाब देते हुए 24 अगस्त की सुनवाई में बाबूलाल मरांडी की ओर से कहा गया था कि विधायक बंधु तिर्की को जेवीएम ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 21 जनवरी 2020 को निष्कासित कर दिया था. उसके बाद प्रदीप यादव को भी पार्टी ने 06 फरवरी को निष्कासित कर दिया था.
11 फरवरी 2020 को जेवीएम कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें 142 में से 132 सदस्यों ने भाग लेकर जेवीएम का मर्जर बीजेपी में करने का फैसला लिया. जेवीएम के एकमात्र विधायक बचे बाबूलाल मरांडी ने भी इसपर सहमति दी थी. जिसके बाद कानूनन सभी विधायकों की सहमति मिल गई. इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को दी गई और चुनाव आयोग ने इसे सही बताते हुए जेवीएम के चुनाव चिन्ह को जब्त कर भाजपा में विलय पर मुहर लगा दी थी.
बाबूलाल पर दलबदल के 4 केस दर्ज
बाबूलाल मरांडी के खिलाफ 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने के मामले में विधानसभाध्यक्ष के न्यायाधिकरण में चार अलग अलग केस दर्ज हैं. राजकुमार यादव ने 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने की शिकायत करते हुए विधानसभा में 16 दिसंबर 2020 को याचिका दाखिल की थी, जिसकी कांड संख्या 02/2020 है. उसी तरह भूषण तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 03/2020, दीपिका पांडे द्वारा दाखिल केस नंबर 01/2021 और प्रदीप यादव, बंधु तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 02/2021 है. मंगलवार को एक बार फिर एक साथ चारों केसों की सुनवाई हुई.