रांचीः भारत निर्वाचन आयोग ने खनन लीज मामले में विधायक बसंत सोरेन से जुड़े मामले की सुनवाई (Hearing in mining lease allocation case related to mla Basant Soren) सोमवार को की. 29 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी. खनन लीज मामले में ही सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है. जिस पर आयोग ने फैसला सुरक्षित रखा है. जल्द ही आयोग की तरफ से फैसला राज्यपाल को भेजा जा सकता है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई राज्यपाल करेंगे.
बसंत सोरेन से जुड़ा खनन लीज आवंटन मामला, 29 अगस्त को निर्वाचन आयोग में होगी अगली सुनवाई - रांची न्यूज
सीएम हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन से जुड़े खनन लीज आवंटन मामले की सुनवाई निर्वाचन आयोग में हुई. मामले की अगली सुनवाई अब 29 अगस्त को होगी. Hearing in mining lease allocation case related to mla Basant Soren
बता दें कि इससे पहले 12 अगस्त को भारत निर्वाचन आयोग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले की सुनवाई(Office of profit case hearing) पूरी हो गई थी. नई दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग(hearing in Election Commission of India ) में एक बार फिर सुनवाई हुई थी. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा के द्वारा मुख्यमंत्री की ओर से पक्ष रखते हुए आयोग से डॉक्यूमेंट सबमिट करने के लिए समय देने की मांग की गई. चुनाव आयोग ने 18 अगस्त तक डॉक्यूमेंट जमा करने की अनुमति देते हुए सुनवाई को समाप्त कर दिया. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे आरोप को गलत बताते हुए पीपुल्स रिप्रजेंटेशन एक्ट 1951 की धारा 9A के आरोप को निराधार बताया.
पूर्व सीएम रघुवर दास ने लगाया था आरोपःपूर्व सीएम रघुवर दास के नेतृत्व में 12 फरवरी को राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर भाजपा नेताओं का एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन पर पत्थर के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त कर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी. राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपते हुए भाजपा शिष्टमंडल ने हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने नाम से रांची के अनगड़ा मौजा थाना नंबर 26, खाता नंबर 187 प्लॉट नंबर 482 में पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति लेने का आरोप लगाया था.