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टी-शर्ट टॉफी वितरण गड़बड़ी मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई, सभी दस्तावेजों को सुव्यस्थित कर पेश करने का निर्देश - T-shirt, toffee distribution case

राज्य स्थापना दिवस पर टी शर्ट और टॉफी वितरण गड़बड़ी मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने महालेखाकार को मूल दस्तावेज सुव्यवस्थित कर पेश करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Sep 3, 2021, 10:15 AM IST

रांची:राज्य स्थापना दिवस पर टी शर्ट और टॉफी वितरण में गड़बड़ी मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में महालेखाकार को संबंधित मूल दस्तावेज को सुव्यस्थित कर दोबारा पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 16 सितंबर को होगी.

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महालेखाकार को कोर्ट का निर्देश

बता दें कि सुनवाई के दौरान महालेखाकार कार्यालय की ओर से पूरे मामले से संबंधित दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया गया. जिस पर अदालत ने कहा कि जो दस्तावेज रखे गए हैं, वो सुव्यवस्थित नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने सभी दस्तावेजों को सुव्यस्थित कर पेज संख्या के साथ पेश करने का निर्देश दिया है.

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क्या है पूरा मामला

दरअसल राज्य के स्थापना दिवस पर (15 नवंबर 2016) सरकार ने पांच लाख स्कूली बच्चों के बीच टॉफी और टी-शर्ट का वितरण एक ही दिन में कर दिया था. एक दिन में इतने बच्चों को टी-शर्ट का वितरण करने पर सवाल उठ रहा था. वितरण के नाम पर बड़ी राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया है कि स्थापना दिवस समारोह के लिए वित्त नियमों को शिथिल करते हुए 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे. रांची के उपायुक्त ने दो मद में 4.65 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इसमें 10 हजार स्कूलों के पांच लाख बच्चों के लिए एक हजार टॉफी बैग और टी-शर्ट खरीदा गया. टी-शर्ट लुधियाना के कुदू इंटरप्राइजेज से और टॉफी जमशेदपुर के लल्ला इंटरप्राइजेज से खरीदी गई थी.

दस्तावेज पेश करने का कोर्ट ने दिया था आदेश

याचिका दायर होने के बाद सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने महालेखाकार से यह बताने को कहा था कि जब महालेखाकार ने टी शर्ट और टॉफी की खरीद में गड़बड़ी पाए जाने पर आपत्ति जतायी थी, तो बाद इस आपत्ति को वापस क्यों ले लिया गया. इस पर महालेखाकार की ओर से बताया गया कि पहले दस्तावेज नहीं दिए गए थे. बाद में दस्तावेज मिलने के बाद आपत्ति हटायी गयी थी. इसके बाद कोर्ट ने महालेखाकार को इस मामले का मूल दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया था.

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