रांची: हेमंत सोरेन के खनन पट्टा मामले में दायर याचिका और परिवार से जुड़े शेल कंपनी मामले में दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से सील बंद रिपोर्ट पेश की गई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत दोनों पक्षों को सुनने और रिपोर्ट देखने के बाद किसी नतीजे पर नहीं पहुंची. मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी. हेमंत सोरेन की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा, जबकि ईडी की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा. इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपनी ओर से पेश किए गए जवाब की जानकारी मीडिया से साझा की.
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हेमंत सोरेन के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत में दायर याचिका के मान्यता पर प्रश्न उठाया. उन्होंने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसलिए इसे खारिज कर दिया जाए. जिस पर अदालत ने असहमति जताते हुए, राज्य सरकार से पूछा कि जब घोटाले की बात सामने आई तो अधिकारी पर कारवाई क्यों नहीं की गई. प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सचिव पूजा सिंघल से संबंधित मामले में पूर्व में जनहित याचिक दायर किया हुआ है. उस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया जाए. अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 19 मई की तिथि निर्धारित की है.
पिछली सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में एजेंसी की तरफ से कुछ कार्रवाई की गई है. ईडी ने इससे जुड़ी रिपोर्ट पेश करने की गुजारिश की थी, जिसे कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के पास पेश करने को कहा था. उसी मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई. आपको बता दें कि पूर्व में कोर्ट की ओर से जारी नोटिस के आलोक में सीएम की तरफ से जवाब पेश कर दिया गया था. मुख्यमंत्री की ओर से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने हाई कोर्ट में जवाब पेश किया था. जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है वह जनहित से जुड़ी नहीं है. हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुकूल यह याचिका दायर नहीं की गई है. नियम के अनुसार याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करना चाहिए था जो नहीं किया गया है.
राजीव कुमार, अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट याचिकाकर्ता पर यह आरोप लगाया गया है कि जानबूझकर बार-बार सीएम के परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जाता है. सीएम के पेश किए गए जवाब में सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया गया है. उन्होंने अपने जवाब में अदालत को यह जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो आरोप इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के पास लगाया है, वह सभी आरोप इस जनहित याचिका में भी लगाया गया है. इससे स्पष्ट है कि यह स्वतंत्र होकर याचिका नहीं दायर की गई है. जिससे ये भी साफ होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है. उन्हें भारत निर्वाचन आयोग से नोटिस जारी किया गया है.
झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासित किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. इसके अलावा साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.