रांची: राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में ब्लैक फंगस (Black Fungus) से संक्रमित उषा देवी इलाज को लेकर परिजन अस्पताल से आस लगाए बैठे हैं. लेकिन उनका आरोप है कि रिम्स के डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (Health Minister Banna Gupta) ने संज्ञान लिया है.
इसे भी पढ़ें- मां को मौत दे दो प्लीज, बच्चे लगा रहे गुहार
रांची रिम्स (Ranchi RIMS) में ब्लैक फंगस से संक्रमित महिला के बेटे और बेटी ने अपनी मां के लिए इच्छामृत्यु (Euthanasia) की मांग को लेकर धरना दिया. साथ ही परिजनों ने रिम्स के डॉक्टर्स पर इलाज न करने का भी आरोपलगाया. इस मामले को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने संज्ञान लिया है. उन्होंने जमशेदपुर (Jamshedpur) में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वो इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखेंगे.
जानकारी देते स्वास्थ्य मंत्री स्वास्थ्य मंत्री ने रिम्स निदेशक को दिए निर्देश भाई-बहन की ओर से अपनी मां की इच्छा मृत्यु की मांग पर धरना देने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि ब्लैक फंगस बीमारी को राज्य में महामारी घोषित (Pandemic Declared) किया गया है. उन्होंने बताया कि इस बाबत उन्होंने रिम्स निदेशक को निर्देश भी दिया है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना संक्रमण में स्टेरॉयड (Steroids) का इस्तेमाल हुआ है, जिसका प्रभाव शुगर और गंभीर बीमारी वालों पर पड़ा है और लोग ब्लैक फंगस या व्हाइट फंगस (Black Fungus or White Fungus) का शिकार हुए हैं. जिसे देखते हुए रिम्स को नोडल अस्पताल (Nodal Hospital) बनाया गया है.
क्या बोले रिम्स पीआरओ
पूरे मामले पर ईटीवी भारत (Etv Bharat) में जब रिम्स प्रबंधन के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा (RIMS PRO Dr. DK Sinha) से बात की तो उन्होंने अपनी गलती मानते हुए कहा कि कहीं ना कहीं दवा की कमी जरूर है. लेकिन जैसे ही प्रबंधन के संज्ञान में आया दवा उपलब्ध करा दी गई है. नोडल अधिकारी सीके बिरवा से जब पूरे मामले पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि उनके इलाज के लिए पूरा प्रयास किया गया है. लेकिन मरीज की गंभीर अवस्था को देखते हुए उन्हें बाहर भेजने का सलाह दी गई है. संसाधन की कमी के कारण उन्हें इलाज करने में दिक्कत हो रही है. मरीज की स्थिति काफी खराब है, इसीलिए उन्हें बाहर भेजने का सलाह दिया गया है.
क्या है परिजनों का आरोप
परिजनों का कहना है कि इलाज के लिए अस्पताल में पिछले 2 महीने से भटक रहे हैं, पर कोई भी डॉक्टर या अस्पताल प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों से बचता नजर आ रहा है. शायद इसलिए इलाज के लिए बाहर भेजने की सलाह दे रहे हैं.
मरीज उषा देवी की बेटी पूजा कुमारी बताती हैं कि हम लोग काफी गरीब हैं, इसके बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई दवा उपलब्ध नहीं कराई गई. हम लोग ने 50 हजार रुयए से ज्यादा की दवा खरीदी है. लेकिन इलाज में लापरवाही बरती गई है, कई बार कहने के बावजूद भी मरीज का ऑपरेशन समय पर नहीं किया गया. इसी वजह से आज मरीज की स्थिति गंभीर हो गई है तो डॉक्टर बाहर ले जाने की सलाह दे रहे हैं. इसे भी पढ़ें-Black Fungus: रिम्स में ब्लैक फंगस के संक्रमण पर हो रहा रिसर्च, जल्द आएगी रिपोर्ट
ये है मामला
गिरिडीह की रहने वाली 45 वर्षीय महिला उषा देवी कोरोना संक्रमित (Usha Devi Corona Infected) हुई थीं. इलाज के बाद महिला कोरोना संक्रमण से मुक्त हुईं. लेकिन इसके बाद महिला ब्लैक फंगस (Black Fungus) के संक्रमण से जूझ रही हैं. जिसका इलाज रांची के रिम्स में चल रहा है. इलाज को लेकर महिला के पुत्र और पुत्री ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर्स ने शुगर और बीपी बढ़ने की बात कह ऑपरेशन नहीं किया, जिससे उनकी मां की स्थिति और बिगड़ने लगी और इंफेक्शन ब्रेन तक पहुंच गया.
पीड़ित के परिजनों का कहना है कि अब तक मां के इलाज में लाखों खर्च हो चुके हैं, उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह खराब हो चुकी है. अब महिला की इलाज के लिए अहमदाबाद (Ahmedabad) या केरल (Kerala) ले जाने की बात कही जा रही है. परिजनों का ये भी कहना है कि रिम्स में इलाज चल रहा है लेकिन उन्हें महंगी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही है. बीमारी से मां की परेशानी और आर्थिक तंगी के कारण बेटे और बेटी ने सरकार से मां की इलाज के लिए गुहार लगाई है और रिम्स के इमरजेंसी वार्ड के बाहर धरना दिया.