रांची: यह तो बिल्कुल साफ है कि झारखंड में वैक्सीन का टोटा हो गया है. 6 अप्रैल तक झारखंड में वैक्सीन के सिर्फ ढाई लाख डोज बचे हैं. हर रोज औसतन 1 लाख लोगों को टीका लगाने का अभियान चल रहा है. इस हिसाब से 8 अप्रैल की दोपहर तक टीका का स्टॉक खत्म हो जाएगा. अब सवाल है कि झारखंड को वैक्सीन की अगली खेप कब मिलेगी और कितनी मिलेगी. यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब तो मिला है लेकिन एक दूसरे से मेल नहीं खाता.
मंत्री और सचिव कह रहें अलग-अलग बात 5 अप्रैल को वैक्सीन की अगली खेप के बारे में जब सूबे के स्वास्थ्य सचिव केके सोन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को डिमांड भेजा गया है. इसी सप्ताह 5 लाख डोज उपलब्ध हो जाएगा. यही सवाल 6 अप्रैल को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दो दिन के भीतर 10 लाख वैक्सीन डोज उपलब्ध हो जाएगा. यानी मंत्री और सचिव के बयान में 5 लाख डोज का अंतर है. लिहाजा, आम पब्लिक समझ नहीं पा रही है कि इतने गंभीर मामले में दो तरह की बात क्यों.
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मंत्री और सचिव में किसकी बात में है दम
इसमे कोई शक नहीं कि झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने आने वाली चुनौती को देखते हुए मार्च के अंतिम सप्ताह में ही वैक्सीन उपलब्ध कराने का आग्रह कर दिया था. इस बाबत 2 अप्रैल को पत्र भी भेजा जा चुका है. सचिव उम्मीद कर रहे हैं कि इस सप्ताह 5 लाख डोज मिल जाने से टीकाकरण अभियान प्रभावित नहीं होगा. सचिव की बात में दम है क्योंकि 13 जनवरी से लेकर 1 अप्रैल तक 11 खेप में कुल 23,02,520 डोज झारखंड को मिला है. पूरे खेप के दौरान सबसे ज्यादा 15 मार्च को 5,44,570 डोज उपलब्ध हुआ. यह तब की बात है जब 45 साल से ज्यादा उम्र के सामान्य लोगों को टीका नहीं लग रहा था. 1 अप्रैल से 45 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को टीका दिया जा रहा है. जाहिर सी बात है कि बड़ी संख्या में लोग टीका ले रहे हैं. तमाम राज्यों को टीका की जरूरत है. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य मंत्री किस आधार पर कह रहे हैं कि दो दिन के भीतर झारखंड को 10 लाख डोज उपलब्ध हो जाएगा.
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केंद्र सरकार भी सवालों के घेरे में
अनुमान के मुताबिक झारखंड में 8 अप्रैल की दोपहर तक वैक्सीन का पूरा स्टॉक खत्म हो जाएगा. साफ है कि 7 अप्रैल की सुबह तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुआ तो झारखंड में टीकाकरण अभियान ठप हो जाएगा. क्योंकि वैक्सीन की खेप आने के बाद उसे अलग-अलग जिलों में डिस्पैच करना होता है. लेकिन आश्चर्य की बात है कि मार्च के अंतिम सप्ताह में ही केंद्र सरकार को हालात से अवगत कराने के बाद भी अबतक टीका उपलब्ध नहीं हुआ. सवाल है कैसे झारखंड जीतेगा कोरोना से जंग.