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रांची: भू-माफिया और सरकारी बाबूओं की मिलीभगत से झारखंड में जमीन का काला खेल, पढ़ें ये रिपोर्ट

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Published : Apr 1, 2021, 11:06 PM IST

Updated : Apr 2, 2021, 7:54 PM IST

सरकारी रिकार्ड में छेड़छाड़ कर सरकारी जमीन की खरीद बिक्री में अधिकारियों की सहभागिता आती रही है. जमीन के इस काले खेल में भूख माफिया के साथ-साथ सरकारी बाबू का भी बहुत बड़ा रोल है. बगैर सरकारी हस्तक्षेप के जमीन पर कब्जा पाना संभव नहीं है.

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भू-माफिया और सरकारी बाबूओं की मिलीभगत से झारखंड में जमीन का काला खेल

रांची: जल जंगल और जमीन के नाम पर झारखंड में हमेशा सियासत होती रही रही है. मगर सच्चाई यह है की प्रकृति की गोद में बसा झारखंड धीरे धीरे जल, जंगल और जमीन तीनों से सिमटता जा रहा है. प्राकृतिक संसाधनों से भरे इस प्रदेश में भूमि विवाद एक बहुत बड़ी समस्या है. इसके पीछे का प्रमुख कारण भूमाफिया और सरकारी अधिकारियों का गठजोड़ माना जाता है.

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सरकारी रिकार्ड में छेड़छाड़ कर सरकारी जमीन की खरीद बिक्री में अधिकारियों की सहभागिता आती रही है. जमीन के इस काले खेल में भूख माफिया के साथ-साथ सरकारी बाबू का भी बहुत बड़ा रोल है. बगैर सरकारी हस्तक्षेप के जमीन पर कब्जा पाना संभव नहीं है. जिओ ऑफिस जहां विवादित जमीन की रसीद काटने में विलंब नहीं करता वहीं, एक ही जमीन की बार-बार रजिस्ट्री करने में रजिस्ट्री ऑफिस की भी भूमिका संदेहास्पद होती है. इसके कारण जमीन विवाद को बढ़ावा मिलता है.

थाने में हर दिन सैकड़ों केस दर्ज होते हैं

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जमीन विवाद के कारण राज्य में 350 से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है. थाने में हर दिन सैकड़ों केस दर्ज होते हैं. अदालत में लंबे समय तक जमीन संबंधी मुकदमों की सुनवाई और उस दौरान जमीन पर धारा 144 के कारण विवाद संघर्ष में बदल जाता है. आंकड़ों के मुताबिक, राज्यभर में जमीन विवाद के 68,432 केस लंबित हैं.

सरकारी जमीन पर भू-माफिया हावी
भू-माफिया का साफ्ट टारगेट राज्य की सरकारी जमीन पर रहता है. गैर-मजरुआ जमीन को सरकारी बाबुओं की मिलीभगत से जमाबंदी कराकर जमीन की अवैध बिक्री होती रही है. नदी किनारे की सरकारी जमीन हो या शहरी आवास बोर्ड या फिर सरकारी दफ्तर की खाली पड़ी जमीन सभी पर अतिक्रमण धड़ल्ले से किया जा रहा है. हाल ही में नगरी में खाता संख्या 383 की करीब 301 गैर-मजरूआ सरकारी जमीन की अवैध खरीद बिक्री का मामला सामने हैं. इसमें रांची रजिस्ट्री कार्यालय से इसकी बाकायदा रजिस्ट्री भी करा ली गई. इसके बाद भू-माफिया ने इस जमीन को बेच डाला. रांची की जुमार नदी की जमीन के बाद बुंडू सूर्य मंदिर के नजदीक 17 एकड़ जमीन को अवैध रूप से बेचे जाने का मामला सामने आया. इसे स्थानीय लोगों ने सरकार से 5,894 नीलामी के जरिए खरीदने का दावा करते हुए 2 बिल्डर के हाथ फरवरी 2019 में बेच दिया था. रांची सब रजिस्ट्रार कार्यालय में इसकी रजिस्ट्री हुई थी. मगर म्यूटेशन के वक्त जब यह पता चला कि यह गैर-मजरूआ जमीन है, तो प्रशासन ने इसे अवैध करार दे दिया.

झारखंड हाईकोर्ट ने जताई चिंता

राजधानी रांची के सरकारी जमीन और जल स्रोतों के क्षेत्र में तेजी से हो रहे अतिक्रमण को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने इस पर गंभीर चिंता जताई है. इसके बाद रांची जिला प्रशासन ने ऐसे तमाम जगहों को अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्णय लिया है. रांची डीसी रवि रंजन की मानें, तो सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है. रांची में सभी सीओ को अपने-अपने क्षेत्र में पड़ने वाली सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त और भू-माफिया से बचाने के निर्देश दिए गए हैं.

सर्वे ने बढाया जमीन विवाद

राज्य में लंबे समय के बाद चल रहे ऑनलाइन सर्वे ने जमीन विवाद को बढ़ा दिया है. ऑनलाइन सर्वे में आई खामी की गूंज पिछले दिनों विधानसभा बजट सत्र के दौरान भी देखने को मिली. रैयतों की जमीन दूसरे रैयत और भू-माफिया के नाम पर हो जाने के बाद संघर्ष की स्थिति बन गई है. रैयत सरकार के मंत्री के दरबार में जमीन बचाने की गुहार लगाते फिर रहे हैं. गुमला के रंका से मंत्री मिथिलेश ठाकुर के यहां गुहार लगाने पहुंचे जमीन मालिकों का दर्द यही है कि अधिकारियों की गलती के कारण उन्हें जमीन से हाथ धोना पड़ा है. इधर, मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी इसे स्वीकारते हुए कहा है कि सरकार के संज्ञान में बातें आई हैं. इसका समाधान निकालने का प्रयास हो रहा है.

एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों पर कार्रवाई

जमीन के इस काले खेल में अब तक एक दर्जन से अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है. इसमें अंचलाधिकारी से लेकर कर्मचारी और भू-अर्जन पदाधिकारी शामिल हैं. इसके बावजूद सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बदस्तूर जारी है.

Last Updated : Apr 2, 2021, 7:54 PM IST

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