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बाबाधाम मंदिर नहीं खुला तो जाएंगे हाईकोर्ट, सिर्फ आस्था नहीं लाखों के रोजगार से जुड़ा मामलाः निशिकांत दुबे

गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह से खास बात की. उन्होंने कहा कि देवघर में बाबाधाम मंदिर नहीं खुला तो वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

Nishikant Dubey on Babadham
Nishikant Dubey on Babadham

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Published : Jun 22, 2020, 1:24 PM IST

Updated : Jun 22, 2020, 2:04 PM IST

दिल्ली/हैदराबादः अनलॉक वन के बाद देशभर के प्रसिद्ध मंदिर खुलने लगे हैं लेकिन देवघर का बाबाधाम मंदिर अब तक बंद है. इस मुद्दे पर गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह से खास बात की. निशिकांत दुबे ने कहा कि बाबाधाम मंदिर नहीं खुला तो वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे. ये सिर्फ आस्था नहीं बल्कि लाखों लोगों के रोजगार से जुड़ा मामला है.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे से खास बातचीत

निशिकांत दुबे ने कहा कि संथाल परगना का सांसद होने के नाते उन्हें क्षेत्र की समस्याओं का ध्यान है. उन्होंने करीब 20 दिन पहले इस सिलसिले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की थी. केंद्र सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने का आदेश दिया था, जिसके बाद उज्जैन, काशी विश्वनाथ और तिरूपति के मंदिर खोल दिए गए लेकिन झारखंड के देवघर में ज्योर्तिलिंग बाबाधाम मंदिर को नहीं खोला गया. हेमंत सोरेन बरहेट सीट से विधायक हैं और दुमका उनका कार्यक्षेत्र रहा है. ऐसे में उन्हें मालूम है कि इस क्षेत्र के लोगों के जीवन में बाबाधाम मंदिर की भूमिका क्या है. उन्होंने कहा कि इसलिए बाबाधाम मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर को खुलवाने का आग्रह किया.

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निशिकांत दुबे ने ये भी कहा कि उनके आग्रह पर राज्य में कपड़े और जूते की दुकानों को खोलने की मंजूरी दे दी गई लेकिन मंदिरों को लेकर अब तक फैसला नहीं हुआ है. राज्य में शराब की दुकानें भी खोल दी गई हैं, जहां सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है. इसी आधार पर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर मंदिर खुलवाने के लिए कहा है. निशिकांत ने इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि बाबाधाम और बासुकीनाथ मंदिर त्रेतायुग से आजतक आमलोगों के लिए ना मुगल काल में बंद हुआ और न ब्रिटिश काल में. ये मंदिर 1901 में प्लेग और 1918 में स्पैनिश बुखार जैसी महामारी के दौरान भी बंद नहीं किया गया था. लिहाजा राज्य सरकार बाबाधाम मंदिर को खोलने का आदेश नहीं देगी तो वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

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शंकराचार्य तय करते हैं मंदिर की पूजा व्यवस्था

निशिकांत दुबे ने बताया कि देवघर के बाबाधाम मंदिर की पूजा व्यवस्था पूरी के शंकराचार्य तय करते हैं. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ही शिवलिंग के जमीन के नीचे चले जाने पर उनके ऊपर नए शिवलिंग की स्थापना की थी. पूरी के शंकराचार्य भी कह रहे हैं कि बाबाधाम मंदिर की परंपरा नहीं टूटनी चाहिए. यहां हर साल सावन के महीने में बड़ा मेला भी लगता है, जहां कांवर यात्रा में आसपास के राज्यों से श्रद्धालु आते हैं.

कांवर यात्रा पर फैसला बिहार और झारखंड की सरकार बाद में ले सकती है लेकिन फिलहाल मंदिर खुलना चाहिए, ये कहना है निशिकांत दुबे का. उन्होंने ये भी कहा कि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु बाबाधाम मंदिर है. स्थानीय लोगों का जीवनयापन इससे जुड़ा है.

Last Updated : Jun 22, 2020, 2:04 PM IST

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