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ग्रामीण विकास सचिव की शिक्षा विभाग को सलाह, डायन कुप्रथा के खात्मे के लिए सिलेबस में एक अध्याय होना जरूरी - गरिमा परियोजना की समीक्षा बैठक

झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर प्रताड़ना राेकने और प्रताड़ित हाे चुकी महिलाओं काे समाज में सम्मान दिलाने के लिए गरिमा परियोजना (Garima Project) चलाई जा रही है. इस परियोजना के तहत कई कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

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गरिमा परियोजना की समीक्षा बैठक

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Published : Aug 1, 2021, 12:00 PM IST

रांची: राजधानी में डायन कुप्रथा को जड़मूल से समाप्त करने के लिए चलाई जा रही गरिमा परियोजना (Garima Project) की राज्यस्तरीय समीक्षा की गई. ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) के सचिव मनीष रंजन ने कहा कि झारखंड को डायन हत्या और डायन कुप्रथा से मुक्त करने के लिए झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा चलाई जा रही गरिमा परियोजना (Garima Project) काफी महत्वपूर्ण योगदान कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के स्कूलों में कक्षा 1 से 8 के बच्चों के पाठ्यक्रम में इस कुप्रथा से जागरूक करने के लिए एक अध्याय जोड़ना काफी सहायक होगा.

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गरिमा परियोजना की पहली समीक्षा बैठक

गरिमा परियोजना (Garima Project) के प्रथम राज्यस्तरीय संयुक्त समीक्षा बैठक में उपस्थित एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से जुड़े विभिन्न विभाग के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए मनीष रंजन ने कहा कि गरिमा परियोजना सब के सम्मिलित सहयोग से ही जमीनी स्तर पर कार्य कर सकेगी. डायन हत्या, डायन कुप्रथा का उन्मूलन कानून और जागरूकता दोनों के साझा प्रयास से ही संभव है. उन्होंने कहा कि डायन हत्या से संबंधित मामलों में मुख्यतः आपसी रंजिश, ओझा गुनी जैसी बातें सामने आती रही हैं.

जमीन हथियाने के लिए भी महिला को कहते हैं डायन

मनीष रंजन ने कहा कि झारखंड में जमीन हथियाने के लिए भी महिलाओं को डायन बताकर मार दिया जाता है. इस तरह के कई मामले सामने आए हैं.

भाषायी असमानता से होती है परेशानी

ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) के सचिव ने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाओं को समानता और अधिकार दिलाना है, जो एक विकसित समाज में मिलती है. उन्होंने कहा कि मुंबई में भी इस तरह की परियोजना पर कार्य हुआ है और वहां से इस कुप्रथा का उन्मूलन हुआ. राज्य में भी कमोबेश वैसी ही परिस्थितियां हैं, लेकिन यहां भाषाई असमानताएं होने के कारण काफी दिक्कत आती रही हैं. उन्होंने कहा कि आम लोग समाचार पत्रों में ही इस तरह की खबरों से रूबरू होते हैं, लेकिन हमारे यहां जो फील्ड वर्कर हैं. इस तरह की घटनाओं से खुद ही रूबरू होते हैं, जो बहुत ही मार्मिक होते हैं.

अप्रैल 2020 में शुरू हुई थी गरिमा परियोजना

झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसायटी की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नैंसी सहाय ने कहा कि गरिमा परियोजना (Garima Project) अप्रैल 2020 से शुरू की गई थी. इसका लक्ष्य मार्च 2023 तक राज्य से पूर्णतः डायन कुप्रथा का उन्मूलन करना है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते इस परियोजना में काफी दिकक्कतें आईं. लेकिन जमीनी स्तर पर कई जागरूकता अभियान भी चलाए गए. उन्होंने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य डायन प्रथा से प्रताड़ित महिलाओं को बचाना, उनके लिए आय का स्त्रोत सृजित करना और उन तक जल्द से जल्द सहायता पहुंचाना है. इसके लिए उन्हें लाइवलीहुड एक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है और उनके क्षमता निर्माण का भी कार्य किया जा रहा है.

कई कार्यक्रमों के जरिए किया लोगों को जागरूक

नैंसी सहाय ने बताया कि गरिमा परियोजना (Garima Project) के तहत नुक्कड़ नाटक, सिचुएशन ड्रामा, रियल टाइम थिएटर, स्लोगन राइटिंग, रैली, वॉल राइटिंग, पब्लिक लर्निंग, टेकिंग ओथ अगेंस्ट विच हंटींग आदि कई कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक किया गया. इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों के रोल और रिस्पांसिबिलिटीज को बताया है. जिससे इस परियोजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुंच सके.

सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा जेएसएलपीएस के साथ मिलकर आईईसी एक्टिविटी करके आम लोगों तक इसके लिए जागरूकता किया जा रहा है. साथ ही ग्रीवेंस रजिस्ट्रेशन और उनके समय पर निराकरण पर भी विभाग कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ सोशल मीडिया, सक्सेस स्टोरी और डॉक्यूमेंट्रीज के द्वारा भी लोगों को जागरूक किया जा रहा. उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं में नुक्कड़ नाटक का प्रयोजन कर, ब्रांड अंबेसडर को चुनकर जो इस तरह के मामलों के विरूद्द बोल सके, उन्हें शिक्षित किया जा रहा है. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा इसके लिए जेएसएलपीएस के साथ आगे भी समन्वय स्थापित कर जागरुकता का कार्य किया जाता रहेगा.

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