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लॉकडाउन इफेक्ट: मंडी पर छाई मंदी, किसान से लेकर कारोबारी तक हलकान

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Published : Apr 10, 2020, 7:56 PM IST

लॉकडाउन के बीच झारखंड में फल और सब्जी के कारोबारियों का हाल बुरा है. रांची की सबसे बड़ी फल मंडी डेली मार्केट बंद है. किसानों का कहना है कि सब्जी खेतों पर ही रहे-रहे सड़ रहे हैं. मंडी बंद होने के कारण पहुंचाने में दिक्कत है और किसी तरह-आने-पौने दाम पर कुछ सब्जियां बेच कर पेट पाल रहे.

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रांची: कोरोना वायरस की वजह से देश भर में चल रहे लॉकडाउन के बीच झारखंड में भी फल और सब्जी के कारोबारियों का हाल बेहद बुरा हो चला है. तकरीबन 20 दिनों से फल और सब्जी बाजार से रौनक पूरी तरह से गायब है. जिन दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी होती थी, खरीददारी के लिए उन्हें काफी समय इंतजार करना पड़ता था. अब उन्हीं दुकानों पर दुकानदार घंटों तक ग्राहकों के आने का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण और उसके रोकथाम को लेकर लगातार बढ़ती जागरूकता के बीच ईटीवी भारत की टीम ने रांची के फल और सब्जी मंडी का जायजा लिया.

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सबसे बड़ी मंडी बंद

राजधानी रांची की सबसे बड़ी फल मंडी डेली मार्केट मंडी है. यह मंडी थोक फल और सब्जी दोनों के लिए जानी जाती है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से यह बंद है. एक सप्ताह पहले तक डेली मार्केट फल और सब्जी मंडी दोनों ही सुचारू रूप से चल रहे थे. सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए लॉकडाउन में भी थोड़ी बहुत बिक्री यहां लगातार जारी थी. लेकिन इसी बीच डेली मार्केट मंडी के ठीक पीछे वाले इलाके यानी हिंदपीढ़ी में कोरोना वायरस ने अपना पांव पसार लिया. देखते ही देखते सात पॉजिटिव मरीज सामने आ गए. नतीजा फल मंडी को भी पुलिस ने सील कर दिया. इसके बाद बारी आई हरमू फल मंडी की. हरमू फल मंडी के अधिकांश कारोबारी हिंदपीढ़ी इलाके में ही रहते हैं और जैसे ही कोरोना का खतरा बढ़ा, हिंदपीढ़ी को पूरी तरह से सील कर दिया गया और फल कारोबारी अपने घरों में ही कैद हो गए.

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करोड़ों का कारोबार प्रभावित

हिंदपीढ़ी क्षेत्र में लगातार 8 दिनों से कर्फ्यू रहने और एरिया को पूरी तरह से सील किए जाने से डेली मार्केट की फल और सब्जी मंडी पूरी तरह ठप हो गई है. थोक फल मंडी हरमू बाजार का कारोबार भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. डेली मार्केट फल मंडी के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि डेली मार्केट की फल और सब्जी मंडी से हर दिन लगभग 16 लाख रुपए का कारोबार होता था. 8 दिनों से कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है. ऐसे में मात्र आठ दिन में 1.54 करोड का कारोबार प्रभावित हुआ है.

ठप पड़ा है कारोबार

डेली मार्केट में फल हरमू बाजार और सब्जियां ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित रांची के आसपास के गांव से पहुंचती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा है.

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दाम कम फिर भी बिक्री न के बराबर

फलों के व्यापारी कहते हैं कि थोक तो छोड़िए हम फुटकर में भी दाम गिराकर बेचने को राजी हैं, ताकि लागत निकल जाए. पर हालात ये हैं कि माल निकलना मुश्किल है. चुटिया फल मंडी के कारोबारी कहते हैं कि जो सेब, अनार, अंगूर, केला तरबूज, अनानस, मौसमी, संतरा समेत सभी फलों के दाम कम हो गए हैं, पर खरीददारों का दर्शन दुर्लभ है. इन्हें चिंता है कि यही हाल रहा तो आने वाला समय और मुश्किल भरा होगा.

कोरोना का खौफ, व्यापार में नुकसान

कोरोना वायरस के डर से फलों और सब्जियों के व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ा है. अब यह व्यवसाय भी मंदी का शिकार हो रहा है. कोरोना वायरस के डर के साये में लोग विवाह, शादी, जन्मदिन, सालगिरह और अन्य समारोहों की तारीख को आगे टाल दे रहे हैं. इस वजह से फलों और सब्जियों की मांग घट रही है. इसके अलावा बाहर या विदेशों से भी फल और सब्जियों की आवक प्रभावित हुई है. फल और सब्जी की निर्यात 50 से 60 फीसदी कम हो गई है. क्योंकि ज्यादातर देशों की हवाई उड़ानें रद्द कर दी गई हैं. झारखंड की राजधानी रांची में विदेशों से भी फल आते हैं, लेकिन इस बार एक फल भी विदेश से नहीं आ पाए हैं.

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खुदरा कारोबारी भी संकट में

कोरोना के असर से सब्जी और फल के कारोबार, मांग और उससे जुड़े लोगों पर असर पड़ रहा है. सिर्फ बड़े कारोबारी ही नहीं किसान और गली-मोहल्लों में सब्जी बेचने वाले भी परेशान हैं।ठेले वाले जो कॉलोनियों में जाकर सब्जी और फल बेचते थे, या सड़क पर ठेला लगाते थे, उनके सामने भी रोजी रोटी की समस्या आन पड़ी है.

औने-पौने दाम में बेच रहे हैं किसान

दूसरी तरफ कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन का असर सब्जी की खेती पर भी दिखना शुरू हो गया है. सब्जी उपजाने वाले किसान अपनी सब्जी मंडी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसके कारण सब्जी की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है और तैयार सब्जियों को खेतों में ही छोड़ने को मजबूर हैं. हालात यह है कि किसान खुद से सब्जी तोड़ते हैं और औने-पौने दाम में स्थानीय छोटे सब्जी विक्रेताओं के यहां बेच रहे हैं. वहीं, शहरों में लोगों तक यही सब्जी महंगे दामों में पहुंच रही है.

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फसल हो रहे बर्बाद

किसानों ने बताया कि एक तो खेती का खर्च, उस पर से सब्जी तोड़ने का खर्च. इसके बाद जो बचता है, उसका दाम भी बहुत कम मिलता है. जैसे बाजार में 20 रुपए किलो बिक रहा खीरा, किसानों से 5-6 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है. इसी तरह बाजार में 25-30 रुपए प्रति पीस बिकने वाला कद्दू किसान से 7 से 8 रुपए में खरीदा जा रहा है.

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गहरा सकता है संकट

किसानों ने बताया कि अब सब्जी खरीदने वाला भी कोई नहीं मिल रहा है. न तो व्यापारी उन तक पहुंच रहे हैं और न ही लोकल दुकानदार. लॉकडाउन के कारण व्यापारी इन्हें कहते हैं कि बाजार में लोग एक-दो घंटे के लिए ही आते हैं और उसके बाद ज्यादा देर तक रहने पर पुलिस मारकर भगा देती है, ऐसी स्थिति में आप की सब्जियां हम कैसे खरीदें. लॉकडाउन का असर कितना दिन रहेगा, इसके लिए स्थानीय किसान काफी परेशान हैं. वहीं, बाजार में बीज, खाद उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान आगे की खेती के लिए किसी तरह की तैयारी नहीं कर रहे हैं. इससे आने वाले तीन-चार महीनों के बाद सब्जी का संकट गहरा सकता है.

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