रांची: आईएमए के सेक्रेटरी डॉ. शंभू प्रसाद से 20 लाख की रंगदारी मांगने के मामले में शामिल चार अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने टेक्निकल टीम के सहयोग से चारों अपराधियों को रांची और गुमला के अलग-अलग इलाकों से गिरफ्तार किया है.
नक्सली संगठन के नाम पर रंगदारी का धंधा रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि जिस गिरोह ने डॉक्टर से रंगदारी की मांग की थी, उसी ने रांची में एक कपड़ा व्यवसायी से भी 50 लाख रुपये की डिमांड की थी. टेक्निकल सेल की मदद से रांची पुलिस की टीम ने गुमला में छापेमारी कर सबसे पहले जुनेद आलम को गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर इस्तियाक आलम मुस्ताक अंसारी और शेख अफजल भी पकड़े गए. जांच के क्रम में पुलिस को यह जानकारी मिली कि गिरफ्तार अपराधियों का नक्सली संगठन पीएलएफआई से कोई संबंध नहीं है. यह कुछ शातिर अपराधियों का ग्रुप है, जो सिर्फ और फिर रंगदारी मांगने का ही धंधा करते हैं.
सभी प्रोफेशनल क्रिमिनल
एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि यह गिरोह गुमला में ज्यादा सक्रिय था. वहां रंगदारी की कई कांडों में पुलिस को इनकी तलाश थी. राजधानी में अभी तक इन्होंने सिर्फ दो लोगों से रंगदारी मांगी थी. जिनमें से एक डॉक्टर शंभू प्रसाद और दूसरा एक कपड़ा कारोबारी है.
पीएलएफआई के नाम से मांगी थी रंगदारी
पकड़े गए अपराधियों ने नक्सली संगठन पीएलआईएफ के नाम पर रंगदारी मांगी थी. हाल के दिनों में पीएलएफआई के नक्सलियों ने लगातार रंगदारी की डिमांड शहर के कई लोगों से की थी. गिरोह के सदस्यों ने उसी बात का फायदा उठाते हुए नक्सली संगठन का फर्जी लेटर छपवा कर और रंगदारी की डिमांड की थी.
ये भी पढ़े-केंद्रीय और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक, प्रधानमंत्री आवास योजना की हुई समीक्षा
प्रेस रिलीज जारी कर किया था इनकार
इस मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि डॉ शंभू प्रसाद सिंह को संगठन ने लेवी नहीं मांगा है. संगठन में भगत नाम का कोई भी व्यक्ति नहीं है. पीएलएफआई संगठन इसका खंडन करता है, कोई चोर गिरोह होगा तो संगठन ऐसा घिनौना काम नहीं करता है.