दिल्ली/गिरिडीह/रांची: दिल्ली की एक विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को कोयला घोटाला मामले में दोषी करार दिया है. साल 1999 में गिरिडीह के एक कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितता को लेकर पूर्व मंत्री सहित दो तत्कालीन अधिकारियों को भी दोषी ठहराया गया है.
विशेष न्यायाधीश भारत पारसकर ने दिलीप रे, प्रदीप कुमार बनर्जी, नित्यानंद गौतम, कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड व इसके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड को दोषी ठहराया है. दिलीप रे अटल बिहारी सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे. वहीं, प्रदीप बनर्जी कोयला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और परियोजना सलाहकार थे.
सीबीआई की विशेष कोर्ट ने 2017 में दिलीप रे के अलावा कोयला मंत्रालय में रहे अधिकारियों प्रदीप बनर्जी और नित्यानंद गौतम के साथ-साथ कैस्ट्रॉन टेक्नॉलजीज लिमिटेड और उसके डायरेक्टर महेंद्र कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वास हनन का आरोप तय किया था. अदालत अब 14 अक्टूबर को सजा पर सुनवाई करेगी.
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कब सामने आया झारखंड कोयला घोटाला
कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया की मार्च 2012 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2004 से 2009 के बीच कोल ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया गया. इससे सरकारी खजाने को 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. इस रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कई फर्म्स को बिना नीलामी के ही कोल ब्लॉक आवंटित कर दिए. तब भाजपा विपक्ष में थी और इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर दी. मामले के तूल पकड़ने पर सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा गया.