रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में आम लोगों से 'डायरेक्ट कम्युनिकेशन' के मकसद से स्थापित किया गया जनसंवाद केंद्र शुरू से ही विवादों में रहा है. एक तरफ जहां इस केंद्र पर वित्तीय मामलों को लेकर आरोप लगे, वहीं दूसरी तरफ वहां काम करने वाली युवतियों ने भी संचालकों के व्यवहार को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. इतना ही नहीं पूर्ववर्ती सरकार में तत्कालीन खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री रहे सरयू राय ने भी जनसंवाद के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की मांग की थी.
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दरअसल, मई 2015 में जनसंवाद केंद्र की स्थापना की गई. इसके बाद से ही संचालकों के ऊपर गंभीर आरोप लगने लगे. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण करने के बाद यह साफ कर दिया कि जनसंवाद केंद्र के साथ करार की गई कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया जाएगा. बुधवार को राज्य सरकार ने कंपनी का करार रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी है, जो 31 जुलाई से प्रभावी होगी.
तत्कालीन मंत्री ने की थी एसीबी जांच की मांग
पूर्ववर्ती सरकार में खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री सरयू राय ने तत्कालीन मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र के फाइनेंसियल काम-काज का स्पेशल ऑडिट, अकाउंटेंट जनरल की ओर से कराने की जरूरत भी बताई. इसके साथ ही उन्होंने एसीबी जांच की मांग भी उठाई थी. इसके बाद जनसंवाद केंद्र के ऊपर लगे आरोपों के लिए 3 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई. इसमें कुछ कथित अधिकारियों पर दोष सिद्ध किया, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.