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रांची: तबलीगी जमात से जुड़े विदेशियों को अदालत से मिली बड़ी राहत, वतन जाने का रास्ता हुआ साफ

अदालत
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Published : Sep 28, 2020, 5:44 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 8:28 PM IST

17:36 September 28

रांची: तबलीगी जमात से जुड़े विदेशियों को अदालत से मिली बड़ी राहत, वतन जाने का रास्ता हुआ साफ

तबलीगी जमातियों को राहत.

रांचीः तबलीगी जमात के विदेशी लोगों को कोर्ट से राहत मिली है. सिविल कोर्ट ने 22-22 सौ के मुचलके पर उन्हें रिहा किया है. सभी 17 विदेशियों की घर वापसी का रास्ता साफ हो गया. इसके बाद विदेशी नागरिकों ने खुशी का इजहार किया है. रांची के हिंदपीढ़ी थाना में 7 अप्रैल 2020 को मामला दर्ज हुआ था. 

तबलीगी जमात से जुड़ी चार महिला समेत 17 विदेशी समेत 18 आरोपियों को अदालत से बड़ी राहत मिली है. अदालत के निर्णय के बाद अब विदेशी अपने देश वापस जा सकेंगे. सभी ने निर्णय पूर्व दोष स्वीकार किया. इसके बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरमानी की अदालत ने सोमवार को द नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट एवं एपीडमिक डिजीज एक्ट के तहत दोषी पाते हुए छह महीने की सजा सुनाई. साथ में 2200-2200 रुपए का जुर्माना लगाया. सुनाई गई सजा की आधी अवधि सभी जेल में काट चुके हैं. जुर्माने की राशि आरोपियों ने जमा कर दी है, रांची के हाजी मेराज को 6200 रुपए का जुर्माना लगाया गया. इसी के साथ उन लोगों के खिलाफ चल रहे मुकदमे खत्म हो गए. बता दें कि इन लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में लगाए गए धाराओं को आरोप गठन के बिंदु की सुनवाई के दौरान दो धाराओं को छोड़ अन्य धाराओं को हटा दिया गया है. उन धाराओं में आरोप नहीं बनता था, यह जानकारी वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम ने दी.

इन लोगों के खिलाफ हिंदपीढ़ी थाना में 9 अप्रैल 2020 को कांड संख्या 34/20 के तहत नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. हालांकि पुलिस ने इन विदेशी नागरिकों को 30 मार्च को बड़ी मस्जिद से हिरासत में लेकर पृथकवास में भेजा था. 22 अप्रैल को मामले के सभी आरोपियों को रिमांड पर लिया गया. इसके बाद होटवार स्थित कैंप जेल में रखा गया. बाद में होटवार जेल भेज दिया गया था. जेल से निकलने के लिए जमातियों ने चार बार याचिका दाखिल की थी. पहली बार 11 मई को जमानत याचिका दाखिल की. 12 मई को अदालत ने खारिज कर दी. इसके बाद 27 मई को जमानत याचिका दाखिल की. जिसे अदालत ने 8 जून को खारिज कर दी. समय पर चार्जशीट जमा नहीं करने का हवाला देते हुए 11 जून को याचिका दाखिल की.  

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जिसे कोर्ट ने 12 जून को खारिज कर दी. इसके बाद पुन: 17 जून को चार्जशीट जमा नहीं का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की. जिसे कोर्ट ने सुनवाई योग्य याचिका नहीं करते हुए खारिज कर दी थी. जांच अधिकारी ने 60 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी थी. 15 जुलाई को हाई कोर्ट ने सशर्त जमानत की सुविधा प्रदान की थी. लंदन के जाहेद कबीर, शिपहान हुसैन खान, यूके के महासीन अहमद, काजी दिलवर हुसैन, वेस्टइंडीज के फारूख अल्बर्ट खान, हॉलैंड के मो. सिफुल इस्लाम, त्रिनिदाद के रसयिदा औनी मजिहा बिनती रजाक, जांबिया के मूसा जालाव, फरमिंग सेसे, मलेशिया की सिति आयशा बिनती मत इसा, नूर रशीदा बिनती तोमादी, नूर हयाती बिनती अहमद, नूर कमरूजामन, महाजीर बीन खामीस, मो. शफीक बिन मत इसा, मो. अजीम बिन सुलेमान उर्फ अजीम एवं नदीम खान शामिल हैं.

Last Updated : Sep 28, 2020, 8:28 PM IST

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