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रांची में पीएलएफआई के 5 कुख्यात नक्सली गिरफ्तार, सुप्रीमो दिनेश गोप अब भी फरार - रांची न्यूज

रांची पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच कुख्यात नक्सलियों को धर दबोचा है. गिरफ्तार नक्सलियों के पास से कार्बाइन, पिस्टल सहित कई हथियार बरामद किए गए हैं. इस साल अक्टूबर महीने तक 135 पीलीएफआई नक्सली गिरफ्तार किए गए हालांकि पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप अब तक फरार है.

plfi naxalites arrested
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Published : Nov 18, 2020, 7:03 PM IST

रांचीः पुलिस ने पीएलएफआई के पांच कुख्यात नक्सलियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार नक्सलियों के पास से कार्बाइन और पिस्टल सहित कई हथियार बरामद किए हैं. गिरफ्तार नक्सलियों में कुख्यात लादेन और तुलसी पाहन भी शामिल है. एक ओर पुलिस लगातार नक्सलियों को गिरफ्तार कर रही है तो दूसरी ओर नक्सली अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे. पीएलएफआई झारखंड में दूसरे नंबर के सबसे बड़े नक्सली संगठन के रूप में जाना जाता है. पुलिस पीएलएफआई के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है लेकिन पीएलएफआई के नाम पर खुलेआम फोन पर रंगदारी मांगी जा रही है.

पीएलएफआई के नक्सली गिरफ्तार

पीएलएफआई के एरिया कमांडर तुलसी पाहन को 16 नवंबर को दबोच लिया गया था और उसे गुप्त स्थान पर रखकर पूछताछ की जा रही थी. इसके बाद पीएलएफआई की ओर से एक पर्चा जारी कर पुलिस को चेतावनी दी गई कि जल्द से जल्द तुलसी को कोर्ट में पेश करें, अन्यथा खूंटी और गुमला बंद कराया जाएगा. इसके बाद पुलिस ने आज गिरफ्तार नक्सलियों को मीडिया के सामने पेश किया.

पांच साल पहले भी रांची पुलिस ने तुलसी पाहन और उसके पांच साथियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. उस समय एक बड़े नेता की हत्या की साजिश रची गई थी. जेल से छूटने के बाद वह फिर लेवी वसूली में जुट गया. पुलिस को जानकारी मिली कि हाल के दिनों में रांची में पीएलएफआई की ओर से कारोबारियों को धमकी भरे कॉल किए जा रहे थे और सभी मामलों में तुलसी पाहन का हाथ था. ताजा मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉक्टर शंभू प्रसाद को व्हाट्सएप और फोन के जरिए 20 लाख रुपए की रंगदारी मांगी गई है. फोन करने वाले अज्ञात अपराधी ने चौबीस घंटे के अंदर रुपए नहीं देने पर हत्या की धमकी दी है.

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इस साल 135 नक्सली गिरफ्तार

पुलिस आईजी (अभियान) साकेत सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि साल 2018 के दौरान 122 पीलीएफआई नक्सली गिरफ्तार किए गए थे. साल 2019 में 81 और इस साल अक्टूबर महीने तक 135 पीलीएफआई नक्सली गिरफ्तार किए गए. हालांकि पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप अब तक फरार है. कहा जाता है कि पुलिस के पास दिनेश गोप की कोई तस्वीर नहीं है ऐसे में वह आसानी से पुलिस की आंखों में धूल झोंक सकता है.

पुलिस कार्रवाई की फाइल तस्वीर

क्या है पीएलएफआई

पीएलएफआई यानी पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-माओवादी का स्प्लिन्टर ग्रुप है. साल 2007 में दिनेश गोप ने इसका गठन किया गया था. साल 2007 में माओवादी नेता मासी चरण पुर्ति कई सदस्यों के साथ पीएलएफआई में शामिल हुआ, हालांकि पुर्ति को बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. बाद के दिनों में पीएलआफआई अपना दायरा बढ़ाता गया और इसमें कई दूसरे माओवादी शामिल हो गए.

पीएलएफआई का लेटर हेड

पीएलएफआई की धमक रांची के ग्रामीण इलाके, खूंटी, सिमडेगा, गुमला सहिच झारखंड के तकरीबन हर जिले में है. इसने अलग-अलग इलाकों में एरिया कमांडर की नियुक्ति कर रखी है. इसके अलावा इनकी घुसपैठ पड़ोसी राज्यों बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी है. कहा जाता है कि शुरुआती दिनों में पीएलएफआई को राज्य सरकार का संरक्षण मिला हुआ था और इसका इस्तेमाल सीपीआई-माओवादी का मुकाबला करने के लिए किया गया. हालांकि पुलिस इससे इंकार करती रही है. 2019 की शुरुआत में दो बड़े नक्सली नेताओं सहित दस नक्सली कैडरों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद नक्सली संगठन पीएलएफआई को 'बिहार लिंक' से सपोर्ट मिल रहा है. बिहार के कई शातिर अपराधी जो फरार घोषित हैं वो पीएलएफआई में शामिल होकर पीएलएफआई कैडरों की कमी पूरी कर रहे हैं.

वसूली का फ्रेंचाइजी सिस्टम

माओवादियों की तरह पीएलएफआई की अपनी कोई विचारधारा नहीं है. इसका मकसद केवल आतंक फैलाना और जबरन वसूली करना है. राज्य के विकास परियोजनाओं में लगे ठेकेदारों को डरा धमकाकर पीएलएफआई नक्सली वसूली करते हैं. फरमान नहीं मानने पर आगजनी और हत्या तक कर दी जाती है. पुलिस के अनुसार पीएलएफआई फ्रेंचाइजी सिस्टम पर काम करता है. ग्रामीण इलाकों के छोटे आपराधिक संगठनों को पीएलएफआई अपना लेटर पैड और हथियार मुहैया करवाता है. इन संगठनों के जरिए वसूली की जाती है, जिसका एक बड़ा हिस्सी पीएलएफआई को मिलता है.

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कौन है दिनेश गोप

पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप एक पूर्व सैनिक रहा है. साल 2003 अपने बड़े भाई सुरेश गोप की हत्या के बाद उसने वर्दी छोड़ दी थी. दिनेश गोप माओवाद की विचारधारा में विश्वास नहीं करता क्योंकि वह देश में चीनी डिजाइन लागू करना चाहते हैं. पीएलएफआई की लड़ाई इसके खिलाफ हैं. टेरर फंडिंग मामले में दिनेश गोप की दोनों पत्नी हीरा देवी और शकुंतला कुमारी को इसी साल 30 जनवरी को एनआईए ने कोलकाता से गिरफ्तार किया था. दोनों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है.

दिनेश गोप की दोनों पत्नी

क्या है टेरर फंडिंग केस

नोटबंदी के बाद पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के बेड़ो स्थित ठिकाने से 25.38 लाख रुपए बरामद किए गए थे. साल 2018 में बेड़ो थाने में दर्ज केस को एनआईए ने टेकओवर किया था. इस केस में अब तक 10 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि एकमात्र आरोपी दिनेश गोप अब भी फरार है. एनआईए की जांच में यह बात सामने आई है कि झारखंड में ठेकेदारों और व्यवसायियों से वसूली गई लेवी को शेल कंपनियों में निवेश किया जाता था.

21 फरवरी को एनआईए की टीम ने पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के झारखंड और पश्चिम बंगाल के 10 ठिकानों पर छापेमारी की थी. एनआईए की टीम ने रांची गुमला खूंटी और कोलकाता में अपने दबिश डालकर दिनेश गोप के खिलाफ काफी सबूत इकट्ठा किए थे. दिनेश गोप के खौफ के जरिए कमाई गई करोड़ों रुपए की संपत्ति को कुछ सफेदपोश लोग अपने व्यापार में लगाकर उसे मुनाफा कमा कर दे रहे हैं. बैंक खातों की जांच के दौरान एनआईए ने यह दावा किया है कि लेवी के पैसे को पीएलएफआई ने कई शेल कंपनियों में लगाया है. अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए दिनेश गोप ने रांची के अशोकनगर जैसे वीआईपी इलाके में दफ्तर खोल कर भी रखा था. दिनेश गोप का रांची के जगन्नाथपुर इलाके के हेसाग में 4 फ्लैट और नगड़ी के पिस्का रेलवे क्रॉसिंग के पास एक होटल भी है.

एनआईए की कार्रवाई की फाइल तस्वीर

एनआईए की जांच में दिनेश गोप की पत्नियों के बैंक खातों से 19 लाख 93 हजार 817 रुपये और 25 लाख की अधिक कीमत की गाड़ियों का पता चला. इसके अलावा नोटबंदी के बाद दिनेश गोप के 25.38 लाख रुपए के पुराने नोट एक पेट्रोल पंप संचालक के जरिए जमा कराए थे.

एनआईए ने इसी साल जुलाई में चार्जशीट दायर की है जिसके अनुसार दिनेश गोप की पहली पत्नी शकुंतला देवी, दूसरी पत्नी हीरा देवी उर्फ अनिता देवी, खूंटी निवासी जयप्रकाश सिंह भूईंया, अमित जायसवाल और गुमला के फुलेश्वर गोप ने तीन शेल कंपनियों मेसर्स भव्या इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स शिव आदिशक्ति मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स शक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड में लेवी की रकम का निवेश किया था. इसके बाद कंपनी के नाम पर अचल संपत्ति और महंगी गाड़ियां खरीदी गई थी.

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पीएलएफआई के पास विदेशों हथियारों का जखीरा

बीते साल जनवरी में गुमला के मुठभेड़ में पीएलएफआई का 10 लाख का इनामी कमांडर गुज्जू गोप मारा गया था. इसके बाद 14 फरवरी को खूंटी के रनिया में पीएलएफआई के साथ मुठभेड़ में पुलिस ने नक्सली सुप्रीमो दिनेश गोप के बॉडीगार्ड विक्रम को मार गिराया था. सर्च के दौरान पुलिस को जर्मन हथियार मिले थे. इसके बाद बिहार के पूर्णिया पुलिस ने रांची से हथियार तस्कर गिरोह के एक सदस्य गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार हथियार तस्कर ने पुलिस के सामने यह कबूल किया था कि झारखंड में पीएलएफआई जैसे नक्सली संगठनों को नागालैंड से लाकर उसने बड़े पैमाने पर हथियार सप्लाई किए हैं. इससे पहले साल 2010 में रांची पुलेस ने मुंगेर से खूंटी भेजे जा रहे अमरीकी ग्रेनेड लांचर को भी जब्त किया था. सिमडेगा, हजारीबाग में भी नक्सलियों और पीएलएफआई के पास से विदेशी हथियार मिले थे. बीते साल पकड़े गए नक्सली अखिलेश गोप ने पुलिस की पूछताछ के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया था. अखिलेश के अनुसार, पीएलएफआई संगठन के पास लगभग 50 से 55 एके 47 रायफल हैं.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी का प्रतीक चिन्ह

झारखंड के मोस्ट वांटेड नक्सली

पीएलएफआई टेरर फंडिग केस में फरार चल रहे दिनेश गोप पर एनआईए ने पांच लाख का इनाम रखा गया है. राज्य सरकार ने पूर्व से दिनेश गोप पर 25 लाख का इनाम रखा है. पीएलएफआई टेरर फंडिंग केस में दिनेश गोप की दोनों पत्नियों और बिजनेस पार्टनर की गिरफ्तारी पहले हो चुकी है.

राज्य सरकार के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या में फरार चल रहे पतिराम मांझी उर्फ अनल पर एनआईए ने पांच लाख का इनाम रखा है. भाकपा माओवादी के पतिराम पर राज्य की सरकार ने भी एक करोड़ का इनाम घोषित कर रखा है. एनआईए ने मगध आम्रपाली कोल परियोजना में फरार चले रहे झारखंड पुलिस के 25 लाख के इनामी ब्रजेश गंझू उर्फ गोपाल सिंह भोक्ता पर पांच लाख, टीपीसी कमांडर आक्रमण पर तीन लाख, गिरिडीह में भाकपा माओवादियों के हथियार की सप्लाई व टेरर फंडिंग के केस में रामदयाल महतो पर तीन लाख, अजय महतो पर तीन लाख, चंचल पर दो लाख, कृष्णा दा पर दो लाख, जबकि सिंगराई सोरेन और शनिचर हेंब्रम पर 50- 50 हजार का इनाम रखा है.

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