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राजधानी को साफ और स्वच्छ रखने की नगर निगम की पहल, शहर की दीवारों पर बनाई जा रही है आकर्षक पेंटिंग - Sohrai painting of Jharkhand

रांची नगर निगम की ओर से शहर को साफ और स्वच्छ रखने के लिए विभिन्न चौक-चौराहों और दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग बनाई जा रही है. इन पेंटिंग में झारखंड की सोहराई कला को भी दिखाया जा रहा है. प्रशासन की इस पहल से झारखंड की कला संस्कृति को पहचान दिलाने का काम किया जा रहा है.

fascinating painting is being made on the walls of the city ranchi
पेंटिंग करते कलाकार

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Published : Feb 4, 2020, 9:59 PM IST

Updated : Feb 6, 2020, 5:19 PM IST

रांचीः राजधानी के विभिन्न चौक-चौराहों और दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग बनाई जा रही है. शहर को साफ और स्वच्छ रखने की प्रशासन की यह पहल काफी कारगर साबित हो रही है. सरकारी भवनों और शहर की दीवारों पर बनाई जा रही इन कलाकृतियों में झारखंड की सोहराई पेंटिंग की भी हल्की झलक दिखाई देती है.

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सरकार की इस पहल से राज्य के हजारों युवक-युवतियों को रोजगार के साथ-साथ शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का मौका मिला है. रांची नगर निगम की ओर से रेलवे स्टेशन, राजभवन, सिविल कोर्ट परिसर और जज कॉलोनी में इस तरह के पेंटिंग बनाई जा रही है.

सोहराई कला को सहेजने की प्रशासन की पहल

सोहराई कला को भौगोलिक विशेषता वाली कला का दर्जा मिला हुआ है. झारखंड और खासकर आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति को दर्शाती यह कला अपने आप में काफी विशिष्ट है. इससे सोहराई कला को एक तरह से पहचान दिलाने का काम किया जा रहा है.

सोहराई कला की खासियत

सोहराई कला एक आदिवासी कला है. इसका प्रचलन हजारीबाग जिले के बादाम क्षेत्र में आज से कई वर्ष पूर्व शुरू हुआ था. हजारीबाग के 'इसको' की गुफाओं में आज भी इस कला के नमूने देखे जा सकते हैं. सोहराई कला में खासकर आदिवासियों की जीवन शैली, जानवरों से उनका जुड़ाव और प्रकृति से उनके प्रेम को दर्शाया जाता है. आदिवासी इस कला को मुख्य रूप से सोहराई पर्व के मौके पर घर की दीवारों पर उकेरते हैं.

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डॉ रामदयाल मुंडा शोध संस्था के उपनिदेशक चिंटू दोराईबुरु बताते हैं कि इस कला ने गुफाओं की दीवारों से निकलकर घरों के दीवारों में अपना स्थान बना लिया है. उन्होंने बताया कि आदिवासी पहले विशेष अवसर पर ही इस कला से अपने घर को सजाते थे जिसमें प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग किया जाता था. वहीं, धीरे-धीरे आधुनिकीकरण होने के बाद इस पेंटिंग के तौर-तरीके बदले और इसने अब व्यवसाय रूप ले लिया है.

सोहराई को मिला ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग

सोहराई चित्रकला को जीआई टैग मिलने से दूसरे राज्यों के कलाकार अब सोहराई चित्र नहीं बना सकेंगे. इस तरह के चित्र कहीं भी बनाने पर इसे झारखंड का सोहराई चित्र ही कहा जाएगा. पूरी तरह से सोहराई पेंटिंग झारखंड की पहचान बन चुकी है.

Last Updated : Feb 6, 2020, 5:19 PM IST

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