झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

जैविक खेती से जिंदगी संवार रहे रांची के किसान, डबल मुनाफा के साथ-साथ सेहत भी बरकरार - Farmers not using pesticides in Ranchi

अधिक पैदावार और मुनाफे की चाहत में अक्सर किसान खूब रसायनिक खाद और कीटनाशक का प्रयोग करते हैं. लेकिन रांची के किसानों की इस सोच में बदलाव आया है. उनका रूझान ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ा है. किसानों का मानना है कि इससे जमीन की सेहत के साथ-साथ, समाज का स्वास्थ्य भी बना रहता है.

organic farming in ranchi
डिजाइन इमेज

By

Published : Jul 19, 2020, 12:46 PM IST

रांची: केंद्र सरकार ने कृषि में उपयोग होने वाले 27 तरह के कीटनाशकों को प्रतिबंध कर दिया है, ताकि ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा सके. वैसे तो झारखंड के सब्जियों के उत्पादन में कीटनाशक का इस्तेमाल कम ही होता है. जिसकी वजह से यहां की सब्जियों की बाहर के राज्यों में भी डिमांड है. ऐसे में केंद्र सरकार के कीटनाशकों को बंद करने के फैसले से झारखंड में ऑर्गेनिक खेती को और भी बढ़ावा मिलेगा.

देखें स्पेशल स्टोरी

ऑर्गेनिक कीटनाशक से खुलेंगे रोजगार के नए अवसर

फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल किसान करते हैं. लेकिन इनका अधिक इस्तेमाल होने से मिट्टी की उर्वरा के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने देश में ऑर्गेनिक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 27 तरह के कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है. वहीं इन कीटनाशकों के बैन होने से कृषि कार्य में व्यापक असर पड़ेगा. इसी बीच किसानों को अपनी फसल को कीट से बचाने और फसलों को तैयार करने के लिए झारखंड में असीम संभावनाएं भी हैं. किसान कीटनाशक दवाओं की जगह पर नीम और करंज की खल्ली का इस्तेमाल कर अपनी फसलों को तैयार कर सकते हैं. एक तरीके से फसल में खुद से बनाए हुए ऑर्गेनिक कीटनाशक से रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे.

प्रतिबंधित कीटनाशक के नाम

मनुष्य के स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता दुष्प्रभाव

रांची के ग्रामीण इलाकों के किसान ऑर्गेनिक खेती कर अच्छी उपज कर रहे हैं. उनकी फसल का अच्छा मुनाफा मिलता है. इसके साथ ही डिमांड भी ज्यादा रहता है. क्योंकि ऑर्गेनिक फसल से मनुष्य के स्वास्थ्य पर किसी तरह का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. किसानों की माने तो ऑर्गेनिक खेती करना बेहद आसान है, फसल में जब भी कीड़ा का प्रकोप या फिर फफूंद होने लगता है तो उसे घरेलू विधि से छिड़काव कर फसलों को रोग होने से बचाया जाता है. यह मार्केट में मिलने वाले कीटनाशी दवाओं से सस्ता भी पड़ता है और इसे छिड़काव के लिए तैयार करना बिलकुल ही आसान है.

प्रतिबंधित कीटनाशक के नाम

ये भी पढ़ें-लॉकडाउन ने बिगाड़ी छोटे दुकानदारों की अर्थव्यवस्था, कर्ज में डूबे व्यवसायी

किसानों को हो रहा अच्छा मुनाफा

लॉकडाउन के दौरान भले ही कृषि के क्षेत्र में कांके क्षेत्र के कुम्हारिया गांव की महिला किसान अनीता देवी को नुकसान हुआ हो, लेकिन अब होने वाले फसल से इन्हें काफी उम्मीद है. इनकी माने तो ये 5 एकड़ पर जैविक तरीके से कृषि कर रही हैं और इसी खेती पर उनके पूरे परिवार का भरण-पोषण आश्रित है. उनकी माने तो पहले जब वह रसायनिक कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सब्जी उगाती थी, तो उनकी फसलों का ज्यादा मूल्य नहीं मिलता था. लेकिन जब से वह ऑर्गेनिक तरीके से खेती कर रही हैं तो उनकी फसल की मांग ज्यादा है. वह ऑर्गेनिक तरीके से नीम का पत्ता गुड़ और गोबर खाद के माध्यम से खेती कर रही हैं. अभी उनके खेतों में शिमला मिर्च, करेला, बोदी, खीर, फ्रेंचबीन जैसी हरी सब्जियां लगी हुई हैं. वर्तमान समय में देश भर में ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किए हुए सब्जियों की काफी मांग है. इससे किसानों को भी अच्छा मुनाफा हो रहा है.

प्रतिबंधित कीटनाशक के नाम

मिट्टी और फसलों के लिए काफी फायदेमंद

इस बारे में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. बीके सिंह कहते हैं कि रसायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल कर किसान भले ही फसल की अच्छी उपज कर लेते हों, लेकिन इसका दुष्परिणाम मनुष्य जीवन पर पड़ता है. यहां तक कि पौधों के लिए लाभकारी साबित होने वाले सूक्ष्म जीव जो मिट्टी के लिए लाभकारी होते हैं उसे भी हानि पहुंचती है. इसके अलावा जीव-जंतु, पशु-पक्षियों, मधुमक्खी और यहां तक कि मनुष्य के लिए भी घातक साबित होता है. ऐसे में ऑर्गेनिक खेती सबसे अच्छा विकल्प है. किसान भाई अपने खेतों में छिड़काव के लिए घरेलू तरीके से ऑर्गेनिक (जैविक) नीम का पत्ता, नीम की खल्ली, करंज की खल्ली से कीटनाशी घोल तैयार कर सकते हैं जो मिट्टी और फसलों के लिए काफी फायदेमंद है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details