रांची: झारखंड में कैंसर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सरकारी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की तादाद जहां प्रतिमाह 150 से ज्यादा हैं वहीं इलाज का आभाव समस्या को और बढ़ा रहा है. हालत ये है कि कैंसर मरीजों को गंभीर हालत में इलाज के लिए झारखंड से बाहर रूख करना मजबूरी बन गई है.
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झारखंड में कैंसर का इलाज :झारखंड में ज्यादातर मरीजों में मुंह का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर एवं प्रोटेस्ट कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं. इनमें से अधिकांश एडवांस स्टेश में अस्पताल पहुंचते हैं. इसलिए इलाज के बावजूद मरीज पूरी तरह ठीक नहीं हो पाते हैं. हमने जब झारखंड में कैंसर के मरीजों की व्यवस्था और सुविधा पर कई कैंसर रोग विशेषज्ञों से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी भी झारखंड में कई प्रकार के ऐसे जटिल कैंसर है जिसका इलाज संभव नहीं हो रहा है.
झारखंड में बढ़ रही है सुविधा:मेडिका अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर गुंजेश कुमार सिंह बताते हैं कि अब झारखंड में भी कैंसर के इलाज को लेकर सुविधाएं बढ़ रही है. इसीलिए बाहर के बड़े चिकित्सक झारखंड में काम करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर होने के कारण काम करने में आसानी होती है. इसीलिए यदि झारखंड में कैंसर विशेषज्ञ को सरकारी एवं निजी स्तर पर काम करने का मौका दिया जाए तो झारखंड के गरीब मरीजों को भी राज्य से बाहर इलाज कराने के लिए नहीं जाना पड़ेगा.
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आयुष्मान भारत से कैंसर रोगियों को फायदा:देश के बड़े कैंसर विशेषज्ञ के रूप में काम कर रहे डॉ अभय सिंह बताते हैं कि आयुष्मान भारत से कैंसर रोगियों का इलाज संभव हो पा रहा है. लेकिन अभी भी कैंसर के कई जटिल ऑपरेशन है जिसके इलाज का खर्च आयुष्मान भारत के पैकेज में नहीं आ पाता. ऐसे में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के तरफ से भी कई ऐसे फंड है जो कैंसर के मरीजों के इलाज में मददगार हो सकता है. सिर्फ लोगों को जागरूक होने की जरूरत है.
रिम्स में कैंसर का इलाज:सरकारी स्तर पर बात करें तो वर्तमान झारखंड के रिम्स में आंकोलॉजी विभाग में कैंसर के मरीजों का इलाज होता है. इसके अलावा जमशेदपुर के टीएमएच अस्पताल में भी कैंसर के मरीजों को सरकारी व्यवस्था के साथ इलाज की सुविधा दी जाती हैय लेकिन कैंसर के गंभीर मरीजों का इलाज होना सरकारी अस्पतालों में पूरी तरह से संभव नहीं है. क्योंकि कहीं ना कहीं सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी देखने को मिलती है. वहीं अब नई व्यवस्था के तहत पूर्वोत्तर भारत के बड़े अस्पतालों में शुमार मेडिका में कैंसर के मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है.
समय पर नहीं होता है इलाज:कैंसर के मरीजों के लिए रेडियोथेरेपी और किमोथेरपी की व्यवस्था तो सभी अस्पतालों में है लेकिन कई बार सरकारी अस्पतालों में मरीजों को समय पर यह व्यवस्था भी संभव नहीं हो पाती है. जिससे गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों की तरफ जाना पड़ता है और उन्हें इसके लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. बता दें कि कैंसर एक खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी से मरीजों को बचाने के लिए समय पर पहचान करना जरूरी है. लेकिन झारखंड के लोगों में इस बीमारी के प्रति पूरी तरह से जागरुकता नहीं है. ऐसे में यहां मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.