रांची: कहते हैं जल है तो जीवन है. लेकिन जल, जंगल और जमीन की बुनियाद पर 20 साल पहले बने झारखंड के 90 प्रतिशत घरों में अबतक पाइप से शुद्ध पेयजल नहीं पहुंचा है. ग्रामीण इलाकों की स्थिति तो बेहद खराब है. डाड़ी और चुआं का पानी पीने को लोग विवश हैं. पलामू प्रमंडल के कई इलाकों में आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों को तरह-तरह की बीमारी हो रही है. जहां तक स्वच्छता की बात है तो पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के जमाने में झारखंड खुले में शौचमुक्त राज्य घोषित कर दिया गया था लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. इन तमाम मसलों पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर से बात की.
मिथिलेश ठाकुर ने स्वीकार किया कि शुद्ध पेयजल के मामले में झारखंड की स्थिति बेहद खराब है. इसकी वजह भाजपा है क्योंकि 20 वर्षों में भाजपा ही सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रही है. इस चुनौती का सामना करने के लिए हेमंत सरकार जी-जान से जुटी है. उन्होंने कहा कि झारखंड के 54 लाख ग्रामीण घरों में से केवल 4.37 लाख घरों में चालू घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) हैं. 2019-20 में केवल 98,000 नल कनेक्शन प्रदान किए गए थे. इसका मतलब यह है कि शेष ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन देने करने का बड़ा काम बचा हुआ है. 2020-21 के दौरान 12 लाख घरों को नल का कनेक्शन देने की योजना बनाई जा रही है. इसके अलावा 2020-21 के दौरान 15 ब्लॉक और 4,700 गांवों (16%) के 100% कवरेज के लिए योजना बनाई है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार ने 2024 तक सभी घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य रखा है.
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