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संथाल को कहा जाता है JMM का गढ़, लेकिन आज की तारीख में बीजेपी है सबसे बड़ी पार्टी

संथाल परगना प्रमंडल में 6 जिले हैं. इन छह जिलों में 18 विधानसभा की सीटें हैं. संथाल परगना को जेएमएम का गढ़ भी कहा जाता है, लेकिन वर्तमान समय में यहां बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. विधानसभा की 18 सीटों में से 9 पर बीजेपी का कब्जा है.

संथाल परगना प्रमंडल

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Published : Nov 14, 2019, 5:25 PM IST

रांची: संथाल परगना प्रमंडल को जेएमएम का गढ़ कहा जाता है. क्या वाकई ऐसा है या फिर आम लोगों के बीच यह एक जुमला बन गया है. इसकी सच्चाई को खंगालने के लिए झारखंड में अब तक हुए तीन चुनावों का विश्लेषण करना जरूरी है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

आंकड़ों के विश्लेषण से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि संथाल परगना प्रमंडल के 6 जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या 18 है. इनमें सात सीटें एसटी और एक सीट एससी के लिए आरक्षित है. राज्य गठन के बाद 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के वक्त संथाल की 18 सीटों में से सात सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था, जबकि 5 सीटों पर जेएमएम की जीत हुई थी.

विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

2009 के चुनाव की सूरत बिल्कुल अलग थी. इस चुनाव में बीजेपी को सिर्फ दो सीटों पर ही जीत मिली थी. वहीं, जेएमएम 10 सीटों पर विजयी हुई थी. अलग-थलग पड़ चुकी बीजेपी को 2014 के चुनाव के वक्त मोदी लहर का फायदा मिला. इस चुनाव में बीजेपी आठ सीटें जीतकर संथाल प्रमंडल की सबसे बड़ी पार्टी बन गई.

विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

इस चुनाव में जेएमएम पचास प्रतिशत सीटों के नुकसान के साथ पांच सीटों पर आ सिमटी, लेकिन पिछले तीनों चुनावों में जीत का अनुपात निकालें तो जेएमएम को पांच, दस और पांच सीटें मिली थी. यानी कुल बीस सीटें. वहीं, बीजेपी को सात, दो और आठ सीटें. यानी कुल 17 सीटें. इस लिहाज से संथाल में जेएमएम का पलड़ा भारी कहा जा सकता है.

विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

संथाल में अभेद किले की तरह ये सीटें
संथाल परगना के तीन जिलों की दस विधानसभा सीटों में से सात सीटें एसटी के लिए आरक्षित है. इनमें साहिबगंज की बरहेट, पाकुड़ की लिट्टीपाड़ा और महेशपुर, जबकि दुमका की शिकारीपाड़ा और जामा सीट पर आज तक बीजेपी नहीं पहुंच सकी है. यानी यह पांच सीटें संथाल में जेएमएम के लिए अभेद किले की तरह है.

बीजेपी और जेएमएम में कांटे की टक्कर
2005 में बीजेपी की सात सीटों में से चार सीटें यानी बोरियो, जामा, जामताड़ा और मधुपुर सीट को जेएमएम ने 2009 के चुनाव में जीत लिया था. वहीं, बीजेपी सिर्फ जेएमएम से नाला सीट ले पाई थी, लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी जेएमएम की बोरियो, दुमका और मधुपुर सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही. 2014 में संथाल में आठ सीटें जीतने वाली बीजेपी के पास अब क्षेत्र की 9 सीटें हैं क्योंकि जेवीएम की टिकट पर सारठ में जेएमएम को हराने वाले रणधीर सिंह बीजेपी में आ चुके हैं.

इन सीटों पर बीजेपी की पकड़
संथाल में जेएमएम के पास पांच सीटें हैं जिन पर वह पिछले तीन चुनावों से जीतते आ रही है, लेकिन इस मामले में बीजेपी कहीं नहीं टिकती. कोई सीट ऐसी नहीं है जिस पर बीजेपी पिछले तीन चुनावों से जीतती आ रही है. दो चुनावों में लगातार जीत की बात करें तो बीजेपी की सूची में सिर्फ राजमहल और नाला विधानसभा की सीट आएगी.

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यानी संथाल की शेष 16 सीटों पर बीजेपी का कंसिसटेंट परफॉर्मेंस नहीं रहा है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड बहुमत लाने वाली बीजेपी इस बार संथाल की सभी सीटों पर जीत के दावे कर रही है. लिहाजा, दावों की हकीकत जानने के लिए तो इंतजार करना पड़ेगा.

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