रांचीः स्वास्थ्य विभाग की ओर से राज्य के सरकारी डॉक्टरों (government doctors) के लिए नई सेवा शर्तों और दिशा निर्देश के खिलाफ राज्यभर के सरकारी डॉक्टर्स (government doctors) गोलबंद हो रहे हैं. सरकारी डॉक्टरों के संगठन झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन(Jharkhand State Health Services Association) के आह्वान पर रविवार को राज्य के सभी 24 जिलों के झासा प्रतिनिधियों ने रांची में आपात बैठक की और सरकार के फरमान को तुगलगी फरमान बताते हुए 15 दिन में इसे वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है.
आईएमए भवन में आपात बैठक में अलग अलग जिलों से आए डॉक्टरों ने अपनी अपनी बात रखी. डॉक्टरों ने कहा कि जब सरकार उन्हें NPA नहीं देती तो वह कैसे यह तय कर सकती है कि अपने ड्यूटी ऑवर के बाद वह क्या करते हैं और क्या नहीं करते हैं. कई जिलों से आए झासा प्रतिनिधियों ने सामूहिक इस्तीफे का भी प्रस्ताव बैठक में रखा और कहा कि राज्य की सरकार और स्वास्थ्य विभाग उन्हें प्रताड़ित करना चाहता है. ऐसे में अच्छा है कि सभी डॉक्टर्स सामूहिक इस्तीफा दे दें.
अलग अलग डॉक्टरों की राय के बाद यह सहमति बनी कि पहले सरकार और स्वास्थ्य विभाग को मौका दिया जाए कि वह अपना आदेश वापस ले ले. इसके लिए 07 अगस्त से 15 दिन का समय विभाग को झासा की ओर से दिया जाएगा. इसके बाद राज्य के सभी सरकारी डॉक्टर्स जिनकी संख्या करीब 2178 है वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे और इस दौरान सिर्फ इमरजेंसी सेवा ही चलेगी.
बैठक में शामिल हुए IMA के प्रदेश सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि सरकार का यह आदेश है कि सरकारी डॉक्टर्स सिर्फ ओपीडी में ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. इंडोर में नहीं. यह एक तुगलकी फरमान है. उन्होंने कहा कि इस फरमान को सरकार को वापस लेना ही होगा. डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि एक तरफ राज्य डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में जो भी डॉक्टर्स झारखंड आकर सेवा देने की सोच रहे होंगे वह अब राज्य आने का विचार त्याग देंगे. डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि वर्ष 2016 में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव के विद्यासागर ने ऐसी कोशिश की थी परंतु डॉक्टर्स के विरोध के बाद उन्हें यह फरमान वापस लेना पड़ था, इस बार भी ऐसा ही होगा.
क्या है सरकारी आदेश में, जिससे नाराज हैं राज्यभर के सरकारी डॉक्टर्सः
- चिकित्सक प्रतिदिन अपने कार्यावधि तथा अस्पताल के ओपीडी टाइम में निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे.
- चिकित्सक अगर चाहे तो कार्यावधि और ओपीडी के बाद निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं.
- शहरी क्षेत्र में अस्पताल से 500 मीटर और ग्रामीण क्षेत्र में 250 मीटर की परिधि में निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे और पदस्थापना के बाहर के जिले में निजी प्रक्टिस की इजाजत नहीं होगी.
- अस्पताल परिसर में अवस्थित सरकारी आवास से निजी प्रैक्टिस अवैध माना जाएगा.
- सरकारी चिकित्सक किसी निजी अस्पताल/नर्सिंग होम में अपनी सेवा नहीं देंगे.
- सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी अपने निजी क्लिनिक में मरीज को भर्ती कर इलाज नहीं करेंगे
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि जो भी निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डाक्टर्स दिशा निर्देशों का उल्लंघन करेंगे. उनके खिलाफ झारखंड सेवा संहिता, सरकारी सेवक आचार नियमावली-1976, झारखंड विशिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम-1984 और अन्य संगत नियमों के आलोक में कार्रवाई की जाएगी.