रांची: झारखंड(Jharkhand) खनिज संसाधनों से संपन्न राज्य है फिर भी इस राज्य को मानव तस्करी(Human Trafficking) का चारागाह बना दिया गया. इसकी वजह है गरीबी और लाचारी. इसका फायदा उठाते हैं गांव-देहात में सक्रिय बिचौलिए. गरीब नाबालिगों(minors) को बड़े शहरों में नौकरी के नाम पर सपने दिखाए जाते हैं. जब बच्चे शहर में पहुंचते हैं तो उनको दाई-नौकर बना दिया जाता है. विरोध करने पर यातना दी जाती है. इनमें से कुछ ही नसीब वाले होते हैं जो यातना के दलदल से निकल पाते हैं. इस कलंक को हेमंत सरकार ने चुनौती के रूप में लिया है.
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सीएम के आदेश के बाद नतीजे आ रहे सामने
मुख्यमंत्री के पद पर बैठने के पांच सप्ताह बाद ही हेमंत सोरेन(Hemant Soren) ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिया था कि मानव तस्करों(Human Trafficking) के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इसका नतीजा भी सामने आने लगा है. 7 नवंबर 2020 को 45 लड़कियों को बचाया गया और उन्हें दिल्ली से एयरलिफ्ट(Airlift) किया गया. फरवरी 2021 में दिल्ली से 12 लड़कियों और दो लड़कों सहित 14 नाबालिगों को छुड़ाया गया. इन लड़कियों को रोजगार के बहाने हायरिंग एजेंसियों के जरिए दिल्ली ले जाया गया था. 24 जून 2021 को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में रांची रेलवे स्टेशन और बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से लगभग 30 नाबालिग लड़कियों और लड़कों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू(rescue) किया गया. इन सभी को तस्करी कर दिल्ली ले जाया जा रहा था.
पिछले कुछ दिनों में सरकार ने इन्हें बचाया आत्मनिर्भर बनाने के लिए किये जा रहे उपाय
जून 2021 में ही, मुख्यमंत्री को तमिलनाडु के तिरुपुर में फंसे 36 आदिवासी लड़कियों/महिलाओं के बारे में पता चला. उनमें से कई लोगों ने कोविड-19 की स्थिति के कारण अपनी नौकरी खो दी थी और उनके पास घर लौटने का कोई साधन नहीं बचा था. मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन सभी को ट्रेन के माध्यम से वापस दुमका लाया गया. मानव तस्करी से छुड़ाई गई बच्चियों के पुनर्वास के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं. उनके उज्ज्वल भविष्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 2,000 रुपये का जीवनयापन खर्च, मुफ्त शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मानव तस्करी के मामले में बदनाम जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है.
मानव तस्करी रोकने के लिए सरकार के फैसले नेपाल से श्रमिकों की वापसी
मुख्यमंत्री को कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के देवरिया में फंसे 33 प्रवासी श्रमिकों के बंधक होने का पता चला. अधिकारी हरकत में आये और 33 प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित झारखंड वापस लाया गया. देवरिया स्थित ईंट भट्ठे से लापता हुई दो महिला श्रमिकों को भी वापस रांची ले आया गया. लोहरदगा की दोनों महिलाओं को ईंट भट्ठे के संचालक ने अगवा कर लिया था. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में दुमका के जामा ब्लॉक के 26 प्रवासी मजदूर नेपाल में फंसे हुए थे, उन्होंने सरकार से मदद मांगी. मुख्यमंत्री ने मामले में संज्ञान लेते हुए भारत में नेपाल के दूतावास से संपर्क किया और उनसे नेपाल-भारत सीमा पर उनकी यात्रा की व्यवस्था करने का अनुरोध किया. श्रमिकों को वापस लाने के लिए एक एम्बुलेंस के साथ एक विशेष बस को नेपाल-भारत सीमा पर भेजा गया. सभी का सुरक्षित दुमका वापसी सुनिश्चित हुआ.