रांची:कोरोना काल में स्कूल ठीक से नहीं चलने के कारण बच्चों की पढ़ाई काफी पीछे रह गई. अब झारखंड का शिक्षा विभाग गर्मी की छुट्टियों को रद्द कर विशेष क्लासेस चलाने की एक योजना तैयार कर रहा है. इस दौरान कक्षा एक से 12वीं तक की विशेष कक्षाएं संचालित की जाएंगी और भी विभिन्न छुट्टियों में कटौती करने पर विचार विमर्श किया जा रहा है. एक तरफ राज्य के सरकारी स्कूल के शिक्षक इस योजना को अव्यवहारिक बता रहे हैं. तो वहीं विद्यार्थी कहीं ना कहीं इस योजना को बेहतर बता रहे हैं.
झारखंड का शिक्षा विभाग इस बार सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों को रद्द करने की योजना बना रहा है ताकि कोरोना काल में हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई की जा सके. इस दौरान कक्षा एक से 12वीं तक की विशेष कक्षाएं आयोजित करने पर फैसला लिया जा रहा है, ताकि छात्रों की पढ़ाई पूरी हो सके और उनका अधूरा पाठ्यक्रम भी पूरा किया जा सके. इस अभियान को सरकार ने बेहतर तरीके से संचालित करने को लेकर योजनाबद्ध तरीके से काम करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी निर्देश दिया है.
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जानकारी के मुताबिक झारखंड के शिक्षा विभाग की ओर से इस दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है. झारखंड के सभी 24 जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इसकी सूचना भी दे दी गई है. विभाग ने कहा है कि अप्रैल से जून महीने के बीच कक्षा एक से बारहवीं तक के स्टूडेंट के लिए विशेष कक्षाएं संचालित होंगी. कोरोना संक्रमण के कारण काफी समय तक स्कूल बंद रहे थे, जिसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस नुकसान की भरपाई के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित करने की पहल की जाएगी. शिक्षा विभाग ने जो निर्देश जारी किया है. उसके तहत कहा गया है कि कक्षा एक से बारहवीं तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए एक योजनाबद्ध तरीके से सरकारी स्कूलों के शिक्षक स्कूल जाएंगे और उनकी अलग से क्लासेस ली जाएंगा. इतना ही नहीं विभाग ने शैक्षणिक सत्र को भी 3 महीने के लिए बढ़ा दिया है, यानी अब शैक्षणिक सत्र 31 मार्च की जगह 30 जून को खत्म होगा. इन 3 महीने में छात्रों के कोर्स पूरा करने की जवाबदेही शिक्षकों की होगी.
अभिभावकों से अपील:झारखंड के शिक्षा विभाग ने अभिभावकों से अपील की गई कि वह भी अपने बच्चों को इस दौरान स्कूल अवश्य भेजें. इसके लिए सरकारी स्कूलों को यह भी निर्देश दिया गया है कि विशेष कक्षाओं के लिए अलग से पाठ्य सामग्री तैयार की जाए. सरकार की इस पहल को देखते हुए विद्यार्थियों ने प्रसन्नता जाहिर की है. विद्यार्थियों की मानें तो ऑनलाइन पठन पाठन सुचारू तरीके से संचालित नहीं होने की वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है. अगर स्पेशल क्लास चलाई जाएगी तो वह हिस्सा जरूर लेंगे.
शिक्षकों की राय भी जरूरी:हालांकि सरकार की इस योजना को लेकर जब हमारी टीम ने राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से बात की तो उन्होंने कहा कि योजना बिल्कुल ही अव्यवहारिक है, क्योंकि जिन बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है उनका एग्जाम इसी सेशन में खत्म हो जाएगा. अप्रैल से नया सेशन शुरू हो रहा है. ऐसे में उनकी क्लासेज नए सेशन से संचालित होंगी ही. यह झारखंड के शिक्षा विभाग की ये योजना सिर्फ और सिर्फ फंड की बर्बादी है. कोरोना काल में भी शिक्षक लगातार कोरोना ड्यूटी में कार्यरत थे. उन्हें 1 दिन की भी छुट्टी नहीं मिली है. गर्मी की छुट्टियों में कटौती करना यह कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है. इसके बावजूद बच्चों के भविष्य को लेकर अगर शिक्षा विभाग कोई बेहतर फैसला लेता है तो इसमें शिक्षकों की भूमिका जरूर रहेगी. शिक्षकों की सरकार से यह भी शिकायत है कि छात्र हित में लिए जा रहे फैसले और योजनाओं को लेकर शिक्षकों से कोई राय मशविरा विभागीय स्तर पर नहीं की जाती है.
छतिपूर्ति है सरकार का लक्ष्य:झारखंड में बीते 2 वर्षों से सरकारी स्कूल बंद थे. कक्षाएं स्थगित रहने से कई कोर्स अधूरा रह गया है. लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म हो गया है, सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूल भी पूरी तरह से खुल चुके हैं. सरकारी स्कूलों में कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा देने की पहल जरूर की थी. लेकिन बड़ी संख्या में गांव के छात्र ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रह गए थे, क्योंकि उनके पास साधन का अभाव था. इससे उलट प्राइवेट स्कूल में ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित होने से छात्रों की पढ़ाई जारी रही. लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्र पिछड़ गए और सरकार की कोशिश है कि इन छात्रों की सिलेबस कंप्लीट करते हुए उनकी पढ़ाई भी मुकम्मल हो जाए.