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अब वेंडर्स को मिलेगी गति, रजिस्टर्ड फुटपाथी दुकानदारों की जिंदगी पटरी पर लाने की तैयारी - Jharkhand Vendors Association

लॉकडाउन का असर सीधा अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. ऐसे में रोज-खाने कमाने वाले और छोटी-छाटी दुकाने लगाने वाले वेंडर्स की जिंदगी एक ही जगह आकर रुक सी गई थी. वहीं लॉकडाउन के बढ़ते सिलसिले को देकर पीएम मोदी ने एक छोटी सी उम्मीद की किरण जगाई है.

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Published : May 13, 2020, 8:59 PM IST

रांची: कोरोना लॉकडाउन के कारण लोगों की जिंदगी थम सी गई है. पिछले करीब 50 दिन से लॉकडाउन लागू है और सब कुछ बंद पड़ा है. बड़े उद्योग से लेकर छोटे बाजारों तक सब कुछ बंद है और लोग अपने घरों में कैद हैं. ऐसे में पीएम मोदी का एलान रजिस्टर्ड वेंडर्स की दुकानों को एक गति प्रदान करेगी.

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बता दें कि झारखंड के शहरी क्षेत्रों में करीब 37 हजार ऐसे वेंडर है जो खुद हाटों पर छोटे-मोटे दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. निचले स्तर पर अर्थव्यवस्था की गाड़ी को रफ्तार देने में इनकी अहम भूमिका होती है. कोई लिट्टी-चोखा बेचता है तो कोई चौमिन, चाट, छोले भटूरे या जूस. कोई ठेले पर कपड़े बेचता है तो कोई बेडशीट और बैग. इनकी बदौलत गरीब तबके को जरूरत की चीजें सस्ते दर पर मिल जाती हैं. लेकिन कोविड-19 के संक्रमण के कारण पिछले 25 मार्च से वेंडर्स की जिंदगी हाशिए पर चली गई है.

50 हजार रुपये तक के विशेष लोन मुहैया कराने का सुझाव

लॉकडाउन 4 की तरफ बढ़ने से पहले केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने झारखंड के नगरीय प्रशासन निदेशालय को एडवाइजरी जारी की है. जिसके मुताबिक रजिस्टर्ड वेंडर्स की दुकानों को गति देने के लिए 50 हजार रुपये तक के विशेष लोन मुहैया कराने का सुझाव है. इस पैसे से लोग न सिर्फ अपने बंद व्यवसाय को नए सिरे से शुरू कर पाएंगे बल्कि लोन की राशि लौटाने के लिए 3 साल का समय होगा.

वहीं, झारखंड के नगरीय प्रशासन निदेशालय के निदेशक राजीव रंजन ने कहा कि एडवाइजरी को ध्यान में रखते हुए काम शुरू कर दिया गया है. इस दौरान यह भी कोशिश की जाएगी कि स्ट्रीट फूड के कारोबार से जुड़े लोगों को सुझाव दिया जाए और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें.

वेंडर्स के लिए यह सहयोग संजीवनी का करेगा काम

सरकार के इस पहल पर झारखंड वेंडर्स एसोसिएशन के रांची जिला के अध्यक्ष दीपक सिंह ने कहा कि वेंडर्स के लिए यह सहयोग संजीवनी का काम करेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व में मोदी सरकार में वेंडर्स के लिए मुद्रा लोन की व्यवस्था की थी जिसकी वजह से बहुत लोगों की जिंदगी में बदलाव आया था लेकिन लॉकडाउन के कारण वेंडर्स की कमर टूट गई है. पिछले करीब 2 माह से लोग जमा पूंजी की बदौलत दो वक्त की रोटी जुटा पा रहे हैं.

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वहीं, सब्जी की दुकान लगाकर परिवार का पेट पालने वाले मोहम्मद शमीम लॉकडाउन के दौरान आई मुसीबतों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अगर लोन मिलता है तो व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. बहरहाल, वेंडर्स की जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश शुरु हो गई है. ऐसे में अब देखना है कि ये एडवाइजरी कितना कामगर साबित होता है.

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