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970 करोड़ की लागत से बनेगा ईचा डैम, झारखंड-बंगाल की 2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि होगी सिंचित

970 करोड़ 42 लाख 897 हजार में ईचा डैम निर्माण की योजना बनाई गई है. 2 महीने पहले निकाला गया टेंडर विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद फाइनल किया गया है. स्वर्णरेखा परियोजना से दोनों राज्य के लाखों किसानों को साल भर खेती के लिए पानी उपलब्ध होगा.

970 करोड़ की लागत से बनेगा ईचा डैम

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Published : Aug 17, 2019, 11:11 AM IST

सरायकेला: झारखंड और ओडिशा की 2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि संचित किए जाने को लेकर केंद्र सरकार की स्वर्णरेखा परियोजना के तहत प्रस्तावित ईचा डैम निर्माण का रास्ता अब साफ हो गया है. इस डैम के निर्माण से शहर की आबादी को भरपूर पानी मिलेगा. वहीं, खेती के लिए भी अब पानी की किल्लत नहीं होगी.

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स्वर्णरेखा परियोजना के तहत प्रस्तावित अति महत्वाकांक्षी ईचा डैम निर्माण की प्रक्रिया अब जल्द शुरू की जाएगी. बीते दिनों डैम निर्माण का टेंडर फाइनल हो गया है. कुल 970 करोड़ की लागत से बनने वाले इस डैम का निर्माण भोपाल की कंपनी दिलीप बिल्डकॉन को आवंटित किया गया है. लगातार विरोध और विस्थापितों के आंदोलन को लेकर डैम निर्माण अधर में लटका था. हालांकि मामला हाईकोर्ट में जाने के बाद डैम निर्माण के पक्ष में हाई कोर्ट ने फैसला दिया. इसके बाद स्वर्णरेखा परियोजना द्वारा डैम निर्माण का डीपीआर नए सिरे से तैयार कर टेंडर निकाला गया.

3 साल में बनकर तैयार होगा डैम

970 करोड़ 42 लाख 897 हजार में ईचा डैम निर्माण की योजना बनाई गई है. 2 महीने पहले निकाला गया टेंडर विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद फाइनल किया गया है. इकरारनामा के मुताबिक, 3 साल में डैम का कार्य पूरा हो जाएगा. नए डीपीआर के मुताबिक डैम में जल ग्रहण क्षमता 213 मीटर होगी, जबकि इसकी पूरी क्षमता 225 मीटर तक रहेगी. इस डैम से गंजिया बराज में साल भर पानी आएगा. इसके अलावा इसका पानी झारखंड और ओडिशा के 2 लाख हेक्टेयर कृषि कार्य के लिए भूमि संचयन में भी प्रयुक्त होगा. इस महत्वाकांक्षी योजना से दोनों राज्य के लाखों किसानों को साल भर खेती के लिए पानी उपलब्ध होगा.

25 सालों से विरोध के कारण लटका था निर्माण कार्य

तकरीबन 25 साल पहले स्वर्णरेखा परियोजना के तहत चाईबासा से सटे ईचा में डैम निर्माण योजना प्रस्तावित थी, लेकिन स्थानीय विस्थापितों द्वारा डैम निर्माण का लगातार विरोध किया जा रहा था. नतीजतन यह योजना बीते 25 सालों से अधर में लटकी थी. इस डैम का निर्माण होने से कोल्हान के शहरों की एक बड़ी आबादी को भरपूर मात्रा में पानी मिलेगा, जबकि कृषि के लिए यह डैम किसी वरदान से कम नहीं होगा.

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