रांचीः किशोर किशोरियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत के तहत झारखंड शैक्षिक अनुसंधान परिषद (जेसीईआरटी) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संयुक्त तत्वाधान में बच्चों का ई हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा. इसे लेकर एक योजना तैयार की गई है. कार्यक्रम का बेहतर संचालन हो इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया जा रहा है.
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सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का बनेगा ई हेल्थ कार्ड, जेसीईआरटी और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजना - रांची की खबर
स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर छात्र-छात्राओं में ज्यादा से ज्यादा जागरुकता हो इसलिए सरकार कई प्रयास कर रही है. सरकारी स्कूलों के बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए राज्य सरकार का शिक्षा विभाग उनका हेल्थ कार्ड बना रहा है. झारखंड के 19 जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
सरकारी स्कूलों के बच्चों को कई योजनाओं के साथ जोड़ा जा रहा है. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे भी बेहतर तरीके से पठन-पाठन करें. साथ ही उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हो. इसी कड़ी में आयुष्मान भारत के तहत झारखंड शैक्षिक और अनुसंधान परिषद (जेसीईआरटी) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित विद्यालय स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम के तहत बच्चों का कार्ड बनाया जाएगा. इस कार्यक्रम के बेहतर संचालन को लेकर एक पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है. यह कार्यक्रम राज्य के बोकारो, दुमका, गढ़वा, गिरिडीह, हजारीबाग, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, रांची, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, साहिबगंज, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम के साथ-साथ 19 जिलों में संचालित किया जाएगा.
बताते चलें कि इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक विद्यालय में दो-दो स्वास्थ्य और आरोग्य दूत का चयन भी किया गया है. इनमें विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिकाएं शामिल हैं. ऐसे विद्यालय जहां कक्षा 6 और इससे ऊपर के कक्षाओं की पढ़ाई होती है, वैसे स्कूलों के दो दो विद्यार्थियों को आरोग्य और स्वास्थ्य मैनेजर बनाया गया है.
दिया जा रहा है प्रशिक्षणःकार्यक्रम के सुचारू रूप से संचालन के लिए प्रतिनिधियों का ऑनलाइन प्रशिक्षण भी हो रहा है. बताते चलें कि कार्यक्रम राज्य के 11,553 मध्य विद्यालय, हाई स्कूल प्लस टू विद्यालय में संचालित किए जाने की योजना है. इस कार्यक्रम के सफल संचालन से राज्य के विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों का हेल्थ कार्ड बनेगा. साथ ही बच्चे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी होंगे.