रांची:झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पोती जयश्री ने अपने स्वर्गीय पिता के नाम पर गठित दुर्गा सोरेन सेना का राज्यस्तरीय सम्मेलन कर साफ कर दिया है कि वह अपने पिता के सपनों वाला झारखंड बनाने के लिए जनता की आवाज को बुलंद करेंगी. उन्होंने कहा कि झारखंड में पेयजल एक बड़ी समस्या है. राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है. जंगल का दायरा सिमट रहा है. जमीन को माफिया लूट रहे हैं. शिक्षा के मामले में राज्य पिछड़ रहा है. अच्छी सड़क के साथ-साथ 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए. लिहाजा, दुर्गा सोरेन सेना अब सरकार, प्रशासन और जनता के बीच सेतु का काम करेगी.
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मीडिया से मुखाबित जयश्री ने कहा कि डीएसएस का गठन एक सामाजिक संगठन के रूप में हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने हिसाब से अच्छा काम करने की कोशिश कर रही है. लेकिन अभी भी बहुत सारी कमियां हैं. यह पूछने पर कि क्या वह अपने ही चाचा के नेतृत्व में चल रही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह बात बिल्कुल गलत है. सरकार अपना 100 पर्सेंट देने की कोशिश कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार में कुछ ऐसे लोग भी आ गए हैं जो जनता के हित में काम करने की बजाए सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं.
जयश्री सोरेन, कार्यकारी अध्यक्ष, दुर्गा सोरेन सेना पुराने विधानसभा परिसर में दुर्गा सोरेन सेना के राज्यस्तरीय सम्मेलन के बाद केंद्रीय कमेटी की भी घोषणा की गई. इसमें राजश्री सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. बिरसा हांसदा को मुख्य पर्यवेक्षक सह प्रधान महासचिव मनोनीत किया गया है. इसके अलावा उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव समेत अन्य पदों के लिए नामों की घोषणा की गई है. 28 लोगों को कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है. वहीं सन्नी सिंह को सरायकेला का जिलाध्यक्ष, हसीबुल अंसारी को रामगढ़, धनेश्वर गंझू को चतरा, किशोर कुमार मेहता को हजारीबाग, आजाद अंसारी को बोकारो, चंद्रमोहन हांदसा को दुमका और अशोक हेम्ब्रम को जामताड़ा का जिलाध्यक्ष बनाया गया है.
जयश्री ने कहा कि अप्रैल के बाद केंद्रीय कार्यकारिणी और सदस्यों के साथ गांवों का दौरा कर लोगों की समस्याओं को समझने और प्रशासन से मिलकर निदान का रास्ता ढूंढा जाएगा. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके पिता के नाम पर बनी सेना का गठन सरकार के विरोध में नहीं किया गया है. दुर्गा सोरेन ने दिशोम गुरू के साथ मिलकर विकसित ओऔर समृद्ध झारखंड का सपना देखा था. इसके लिए उन्होंने भी संघर्ष किए थे. लेकिन अभी तक उनके सपने अधूरे हैं. इसी वजह से उनके सपनों को पूरा करने के लिए सामाजिक संगठन के रूप में दुर्गा सोरेन का गठन किया गया है.