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रांची में हिमोफिलिक मरीज के बीच दवा फैक्टर-8 दवा का वितरण, मरीजों ने जताई खुशी

रांची में हिमोफीलिया सोसायटी द्वारा हिमोफिलिक मरीज के बीच जीवन रक्षक दवा फेक्टर-8 का वितरण किया गया. दवा वितरण के इस कार्यक्रम में झारखंड में हिमोफीलिया मरीज की अधिक से अधिक पहचान और उसके इलाज पर जोर दिया गया.

Distribution of drug among hemophilic patients in Ranchi
रांची में हिमोफीलिया

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Published : Mar 31, 2022, 12:28 PM IST

Updated : Mar 31, 2022, 2:35 PM IST

रांची: झारखंड में हिमोफीलिया,थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचने के लिए राज्य सरकार और भारत सरकार कई योजनाएं चलाती रहती है. ऐसी ही एक योजना के तहत रांची में झारखंड के हिमोफीलिया सोसायटी द्वारा हिमोफिलिक मरीज के बीच जीवन रक्षक दवा फेक्टर-8 का वितरण किया गया. दवा वितरण कार्यक्रम में मौजूद शिशु रोग विशेषज्ञ मिनी रानी अखौरी ने बताया कि हिमोफिलिया से मरीज के शरीर में फैक्टर-8 की कमी हो जाती है. ऐसे में ये दवा वितरण कार्यक्रम सराहनीय कदम है.

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मरीजों में कम हो रही है परेशानी:कार्यक्रम में मौजूद दंत रोग विशेषज्ञ डॉक्टर स्वाति शर्मा ने बताया कि हिमोफीलिया जैसी बीमारी में मरीज को कई बार दांत टूटने या फिर ओरल कैविटी जैसी बीमारी से जूझना पड़ता है. लेकिन झारखंड हिमोफीलिया सोसाइटी की तरफ से हिमोफिलिक मरीज को समय-समय पर दवा उपलब्ध कराई जा रही है. जिससे मरीजों में ओरल(ORAL) परेशानी कम देखने को मिल रहा है.

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हिमोफीलिया में ब्लड की ब्लीडिंग:कार्यक्रम में सरायकेला से आए एक इंटर के छात्र ने बताया कि हिमोफीलिया मरीजों में ब्लीडिंग नहीं रूकने की वजह से कई बार घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में छात्रों को कॉलेज जाने में दिक्कत होती है लेकिन हिमोफीलिया सोसाइटी की तरफ से वितरण की गई दवा लेने के बाद छात्र रेगुलर रूप से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे.

झारखंड में हिमोफीलिया मरीजों की संख्या :हिमोफीलिया सोसायटी झारखंड स्टेट के हेड संतोष जायसवाल बताते हैं कि एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक पांच हज़ार लोगों में एक हिमोफिलिक मरीज है. इस हिसाब से झारखंड में देखा जाए तो मरीजों की संख्या चार से पांच हजार होनी चाहिए. लेकिन अभी तक मात्र 650 मरीज को ही चिन्हित किया जा सका है. ऐसे में अभी कई ऐसे मरीज हैं जो जानकारी के आभाव में अपना इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. जबकि भारत सरकार और राज्य सरकार की तरफ से ऐसे मरीजों के लिए राशि भी आवंटित की जाती है लेकिन जानकारी के अभाव में मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है. ऐसे में झारखंड में अभी भी हिमोफीलिया मरीजों की जान बचाने के लिए काम करने की जरूरत है.

Last Updated : Mar 31, 2022, 2:35 PM IST

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