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रांचीः पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नामांकन में आ रहीं मुश्किलें, पदाधिकारी नहीं दे रहे हैं ध्यान - रांची के पॉलिटेक्निक कॉलेजों में विद्यार्थियों की बढ़ी मुश्किलें

कोरोना को लेकर पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नामांकन का दौर जारी है. पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नामांकन तो हो रहा है लेकिन व्यवस्था इतनी जटिल है कि अभ्यर्थी काफी परेशान हैं. इस मामले को लेकर पदाधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं.

difficulties of students for enrollment in polytechnic colleges in ranchi
पॉलिटेक्निक कॉलेज

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Published : Dec 5, 2020, 12:04 PM IST

रांची: कोरोना के मद्देनजर इस बार झारखंड की कई परीक्षाएं ऑनलाइन हो रहीं हैं. नामांकन भी ऑनलाइन ही लिए जा रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन नामांकन के दौरान व्यवस्थाएं काफी लचर हैं. झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद की ओर से ली जाने वाली पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नामांकन का दौर भी जारी है. इस साल पॉलिटेक्निक कॉलेजों में भी नामांकन को लेकर ऑनलाइन ही आवेदन मांगे गए हैं. विद्यार्थियों की मार्कशीट के अंक के आधार पर उनका नामांकन हो रहा है लेकिन व्यवस्था इतनी जटिल है कि अभ्यर्थी काफी परेशान है. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की है.

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ऑनलाइन आवेदन में जटिलता
झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद की ओर से इस साल झारखंड के पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नामांकन को लेकर ऑनलाइन ही आवेदन मांगे गए हैं. विद्यार्थियों के मैट्रिक और प्लस टू के अंक के आधार पर राज्य के विभिन्न पॉलिटेक्निक कॉलेजों में एडमिशन होगा लेकिन प्रक्रिया इतनी जटिल है कि विद्यार्थियों को इससे कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी पड़ताल करने टीम झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद पहुंची तब अभ्यर्थी काफी परेशान दिखे.

हर दिन इस कार्यालय का चक्कर काटने दूरदराज से अभ्यर्थी आ रहे हैं. ऑनलाइन आवेदन के दौरान अपनी कई परेशानियों को लेकर अभ्यर्थी झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद के कार्यालय में गुहार लगाते दिख रहे हैं, लेकिन इनकी परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं है. प्रतियोगिता परीक्षा परिषद कार्यालय में ना तो समय पर अधिकारी पहुंचते हैं और ना ही कर्मचारी तरीके से अपना काम निपटाते हैं और इसके कारण अभ्यर्थियों को कई परेशानियों का सामना रोजाना करना पड़ रहा है. दिव्यांग अभ्यर्थियों को लेकर भी इस कार्यालय के पदाधिकारी या कर्मचारी संवेदनशील नहीं दिखे.

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पदाधिकारी- कर्मचारी करते हैं मनमानी
इस मामले को लेकर टीम ने इससे जुड़े पदाधिकारियों से भी बातचीत करने की कोशिश की लेकिन पूरे परिसर में कहीं भी मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए कोई पदाधिकारी नहीं मिला. जब कर्मचारियों से इस संबंध में जानना चाहा तो कर्मचारी भी अपने आप को इस पूरे मामले से किनारा करते नजर आए.

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