रांची: राज्य में पिछले 14 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में काम कर रही 40 हजार सहिया ने राज्य सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की अपील की है. झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को राज्यभर से विधानसभा के समक्ष धरना देने पहुंची सहिया ने सरकार से उनकी मांगे नहीं माने जाने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने की चेतावनी दी है.
झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यभर से पहुंची सहियाओं ने विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान बीटीटी सामुदायिक प्रशिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष महादेव कुमार सेन ने कहा कि सहिया की 09 सूत्री मांग है. अगर सरकार उसे नहीं मानती है तो मजबूरन उन्हें हड़ताल पर जाना होगा. उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार सत्ता में आने से पहले कई तरह के वादे किए थे. लेकिन अब सहिया के साथ किए गए वादे पर उसे टालमटोल कर केंद्र सरकार पर फेंका जा रहा है. कोरोना महामारी के समय काम लेना था तो यही सहिया बहने वैक्सीनेशन से लेकर क्वारंटाइन करने तक का काम कर रही थीं. लेकिन अब इनकी मांगें नहीं मानी जा रही हैं.
झारखंड की 40 हजार सहिया ने हड़ताल पर जाने की दी चेतावनी, विधानसभा के सामने दिया धरना
झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आई सहिया ने धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखा. सहियाओं का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे.
सहिया की ये हैं मुख्य मांगें
1. सहिया को स्थायी किया जाए जब तक स्थायी नहीं किया जाता है तब तक न्यूनतम ₹21000 दिया जाए एवं कर्मी का दर्जा दिया जाए. उनके प्रोत्साहन राशि को भी दोगुना करने की मांग की गई है.
2. सहिया का बकाया मानदेय प्रोत्साहन राशि, कोविड-19 का अतिरिक्त राशि भुगतान की जाए
3. सभी सहिया के लिए पीएफ, ग्रेच्युटी और पेंशन, चिकित्सा, सिक लीव जैसी सुविधा मुहैया कराई जाए
4. सेवाकाल में दुर्घटना या बीमारी का शिकार होने से स्वस्थ होने तक आर्थिक सहायता देने एवं मृत्यु होने पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी एवं ₹500000 मुआवजा राशि दी जाए
5. राज्य के शहरी क्षेत्र के सेवा मुक्त कर दिए गए सहिया साथी को पुनः बहाल किया जाए
6. शिक्षित सहिया को आवश्यक प्रशिक्षण देकर एएनएम या पारा चिकित्सक के रूप में बहाल किया जाए