केंद्र सरकार की योजना के बावजूद किसान परेशान, लॉकडाउन में विक्रेताओं पर भी असर - झारखंड में किसानों की स्थिति
कोरोना महामारी को लेकर झारखंड में किसान भी काफी परेशान हैं. एक तरफ जहां कोरोना वायरस ग्रामीण क्षेत्रों में अपना पैर पसार दिया है. वहीं, खेती को लेकर भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के कारण बीज, खाद और कृषि संबंधित उपकरण नहीं मिल पा रहे हैं. साथ ही मौसम की बेरूखी भी किसानों के लिए मुसिबत बन गई है.
किसान परेशान
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Published : May 27, 2020, 7:05 AM IST
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Updated : May 27, 2020, 10:32 AM IST
रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में किसानों और कृषि कार्य से जुड़े दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है. जबकि, इस दौरान किसानों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े सभी क्षेत्रों में विषेश छूट दी है. इसके बावजूद भी किसानों और कृषि से संबंधित दुकानदारों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं. क्योंकि किसानों को लॉकडाउन और बेमौसम बारिश के कारण दोहरी मार पड़ी है. तो दूसरी ओर दुकानदारों को ट्रांसपोर्टिंग की सुविधा नहीं होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
देखें स्पेशल रिपोर्ट
राज्य के किसान हमेशा से भौगोलिक मौसम और बेवजह बारिश से प्रभावित रहे हैं. जिससे उनकी फसल बर्बाद हो जाती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से इन्हें तैयार फसल बेचने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण किसानों को औने-पौने दामों में फसल बेचना पड़ रहा है. रवि फसल को बेचकर किसान खरीफ फसल की तैयारी करते हैं, लेकिन इस बार रवि फसल में हुए नुकसान की वजह से खरीफ फसल बोने में किसानों की रुचि नहीं दिख रही है.
झारखंड में खेती
लॉकडाउन के कारण नहीं खरीद पा रहे बीज और खाद
हालांकि किसानों को उम्मीद है कि खरीफ फसल में पैदावार अच्छी होगी. क्योंकि झारखंड में मुख्य रूप से खरीफ फसल में धान की खेती की जाती है. ऐसे में मानसून अगर समय से आता है तो धान की खेती पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा. किसान बीज, खाद और कृषि उपकरण के लिए शहर पर निर्भर रहते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के किसान शहर नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिस कारण किसान और दुकानदार दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दुकानदारों का कहना है कि ट्रांसपोर्टिंग पूरी तरह से सुचारू नहीं होने के कारण कम वजन वाले खाद और बीज डाक के जरिए मिल जा रहा है. बावजूद इसके दुकानदार इस उम्मीद के साथ दुकान खोल रहे हैं कि अपना सामान बेच पाएंगे, लेकिन इक्का-दुक्का किसान ही सामान लेने पहुंच पा रहे हैं. जिसके कारण बिक्री 50 फीसदी से भी कम हो गई है.
झारखंड में फसल उत्पादन
25 मई से 10 जून तक गिराते हैं बीज
25 मई से 10 जून के बीच किसान अपने खेतों में बिज गिरा देते हैं और खरीफ फसल की बुवाई कर देते हैं. खरीफ फसल में धान, मक्का, अरहर दाल की खेती होती है. जबकि पहाड़ी इलाकों में ज्वार की खेती होती है.
झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां कुल क्षेत्रफल का 80 फीसदी कृषि ग्रामीण क्षेत्रों में होती है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर आरपी सिंह की माने तो झारखंड में कृषि योग्य भूमि लगभग 28 से 30 लाख हेक्टेयर है. जिसमें सिर्फ 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. इसलिए यह कहना बिल्कुल सही है कि झारखंड में धान की फसल को मुख्य माना जाता है.
झारखंड में खेती
राज्य में खरीफ फसल के सरकारी आंकड़े वर्ष 2018-19 (तृतीया पूर्वानुमान)
फसल का नाम
आच्छादन
उत्पादन
उत्पादकता
धान
1527.103
2913.869
1908
गेहूं
163.847
303.005
1839
मक्का
261.089
487.168
1866
दलहन
744.233
370.024
981
तेलहन
334.348
224.691
672
कुल
3030.620
4658.757
1537.23
राज्य का हर किसान धान की खेती को लेकर अपने क्षेत्र को तैयार करना शुरू कर दिया है. खरीफ फसल यानी धान की खेती पूरी तरह से मानसून पर आधारित होती है, इसलिए किसानों को उम्मीद है कि धान की अच्छी पैदावार होगी. साथ ही किसान और दुकानदार दोनों को लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार है.