रांची: संयुक्त किसान मोर्चा ने आज भारत बंद का ऐलान किया है. देशभर में बंद को लेकर समर्थक सड़क पर उतरे हैं. रांची में भी बंद को सफल बनाने के लिए वाम दल दल समेत सभी विपक्षी पार्टियां सड़क पर प्रदर्शन कर रही हैं.
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अलबर्ट एक्का चौक को किया जाम
भारत बंद को लेकर रांची के अलबर्ट एक्का चौक को बंद समर्थकों ने जाम कर दिया है. कृषि बिल को वापस करने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए दिखाई दिए.
अलबर्ट एक्का चौक से बंद का जायजा लिया संवाददाता हितेष कुमार चौधरी ने प्रदर्शनकारियों को हटाती दिखी पुलिस
आंदोलनकारियों की बढ़ती संख्या को देख मौके पर जिला प्रशासन और पुलिस की टीम पहुंची और लोगों को समझा-बुझाकर सड़क किनारे करने का प्रयास करती दिखी. पुलिस के समझाने के बावजूद आंदोलनकारी सड़क पर डटे रहे. इन सबके बीच बाजार निकले आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
कांके में भी सड़क जाम
अलबर्ट एक्का चौक के अलावे रांची के कांके रोड में भी बंद समर्थकों ने प्रदर्शन किया. सड़क पर उतरे कार्यकर्ताओं के कारण कारण रांची-पतरातू मार्ग घंटों जाम रहा. जिससे लोगों को आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
रांची के कांके रोड में बंद समर्थकों का प्रदर्शन गिरिडीह में भी दिखा बंद का असर
भारत बंद का गिरिडीह में भी असर देखा जा रहा है. यहां बंद के समर्थन में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, भाकपा माले सड़क पर उतर आए हैं. सभी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार विरोधी नारे लगाए और बसों के परिचालन को रोकने की कोशिश की. बंद को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
गिरिडीह में बंद समर्थकों का प्रदर्शन कोडरमा में भी बंद का असर
कोडरमा जिले में भी भारत बंद का असर देखा जा रहा है. सुबह से ही संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अलग-अलग टोलियों में बंद समर्थक बाजारों को बंद करा रहे हैं. बंद को सफल बनाने में कांग्रेस, सीपीआई, माले और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अपने हाथों में झंडे और बैनर लेकर जुटे हैं.
कोडरमा में सड़क पर बंद समर्थक किसान मोर्चा का भारत बंद
बता दें किकेंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 10 महीने से आंदोलन कर रहे हैं. अपने आंदोलन को और मजबूत करने के लिए किसानों ने आज (27 सितंबर) भारत बंद करने का ऐलान किया है. आपको बता दें कि 17 सितंबर 2020 को संसद में खेती से जुड़े तीनों कानून पास हो गए थे. ये वही कानून हैं, जिनके विरोध में पिछले साल नवंबर से किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था. जो अब तक चल रहा है.