रांची:झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 5वें दिन सदन के बाहर स्थानीय नीति और पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण को लेकर बीजेपी और आजसू ने विरोध प्रदर्शन किया है. दोनों पार्टियां 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति को लागू करने का विरोध कर रही थी. बीजेपी और आजसू के विधायकों ने जमकर नारेबाजी करते हुए पिछड़ों को जल्द से जल्द आरक्षण देने की मांग की है.
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पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण दे सरकार:सदन के बाहर विरोध कर रहे भारतीय जनता पार्टी के विधायक समरी लाल ने कहा कि केंद्र की सरकार ने पिछले साल 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है और तमाम राज्य सरकारों को कहा है कि राज्य में आबादी के हिसाब से आरक्षण देने का काम करें. ऐसे में झारखंड जैसे राज्य में 56 फीसदी पिछड़ों की आबादी है, ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द दूसरों को 27 फीसदी आरक्षण देने का काम करें और जब तक राज्य सरकार पिछडों को आरक्षण नहीं देती है तब तक सदन से लेकर सड़क तक या आंदोलन जारी रहेगा.
सरकार आरक्षण देने की पक्षधर:झारखंड सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता ने पिछड़ों को 27% आरक्षण की मांग को लेकर खुद को पक्षधर बताते हुए कहा कि हमारी सरकार लगातार आरक्षण देने का पक्षधर रही है. लेकिन पूर्व की बीजेपी तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पिछड़ों के आरक्षण को समाप्त करने का काम किया है. उस समय सरकार के सहयोगी दल आजसू पार्टी के सुदेश महतो उपमुख्यमंत्री थे ऐसे में उस समय वह मौन क्यों थे. आज दिखावा कर हितेषी बढ़ रहे हैं हमारी सरकार पिछड़ों को आरक्षण देने को लेकर हमेशा प्रयासरत है और मैं खुद पिछड़ा वर्ग के होने के नाते पिछड़ों को आरक्षण दिलाने को लेकर हर आवाज को उठाने का काम करेंगे.
बयानबाजी से नहीं मिलेगा आरक्षण:आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने मंत्री के बयान को लेकर कहा कि मीडिया में सिर्फ बयानबाजी करने से नहीं होता है. अगर आप की सरकार पिछड़ों को आरक्षण देने का पक्षधर हैं तो कैबिनेट में इस बात को उठाना चाहिए. अगर हमारी पार्टी उस समय पिछड़ों को आरक्षण दिलाने में सक्षम नहीं हो पाई तो आप की सरकार है आप इस बात को उठाइए और आपके पास अधिकार है कि कैबिनेट से इस बात को पास कराया जा सके. इसलिए सिर्फ बयानबाजी करने से कुछ नहीं होगा अगर आप की सरकार पिछड़ों को आरक्षण देने का पक्षधर है तो कैबिनेट में पास करा कर पिछड़ों को आबादी के हिसाब से 27% आरक्षण दे.