रांची: इस दिवाली में वोकल फॉर लोकल का बाजार अधिक रहेगा. यही कारण है कि इस बार मिट्टी के दीये बड़ी मात्रा में कुम्हारों के द्वारा बनाए जा रहे हैं. जैसे-जैसे दीपावली का पर्व नजदीक आ रहा है. कुम्हारों का चाक भी तेज हो गया है. उन्हें उम्मीद है कि इस दिवाली मिट्टी के दीयों की बिक्री अधिक होगी. पर्व को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.
आज धनतेरस का पर्व है, जबकि शनिवार को दियो का पर्व दीपावली है. घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों के साफ-सफाई तेजी से किया जा रहा है. वोकल फॉर लोकल को लेकर कुम्हार काफी उत्साहित और आशान्वित हैं. पिछले वर्ष की तुलना में उन्हें इस वर्ष दीयों की ज्यादा बिक्री और अधिक आमदनी की आशा है. यही कारण है कि इस बार मिट्टी से अधिक दीप तैयार किए जा रहे हैं. मांग भी अच्छी है.
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कुम्हारों ने कहा कि धनतेरस और दिवाली के दिन मिट्टी के बने दीये ही अपने-अपने घरों में जलाएं, क्योंकि मिट्टी के बने दीये ही शुभ होते हैं और गरीबों की मेहनत का फल गरीबों को मिलता है. चाइनीज दीया और सामग्रियों का इस्तेमाल नहीं करने की भी कुम्हारों ने लोगों से अपील की है. दीये जलाने से परंपराओं का निर्वहन तो होगा ही साथ ही बिजली के रूप में देश की ऊर्जा की भारी मात्रा में बचेगी. हमारी संस्कृति और परंपराओं में दीयों का महत्व है. देश की परंपराओं को जीवित रखना है तो मिट्टी के दीये जलाएं. प्रधानमंत्री ने भी लोगों से वोकल फॉर लोकल का नारा देते हुए कहा है कि स्वदेशी इस्तेमाल करें. चाहे वह खादी हो या मिट्टी के दीये. इस बार से दीवाली में बिजली की जगह स्वदेशी मिट्टी के दीये का इस्तेमाल करें.