रांचीः राजधानी रांची के बड़े कारोबारी बड़े गैंगस्टर्स के खौफ के साए में जी रहे हैं. आए दिन किसी ना किसी कारोबारी को वर्चुअल कॉल के माध्यम से बड़े अपराधियों के गुर्गे रंगदारी की मांग कर रहे हैं. खौफ और दहशत में कारोबारी पुलिस से फरियाद कर अपने जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन हाईटेक हो चले अपराधियों के आगे पुलिस की एक नहीं चल रही है.
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हाईटेक हुए अपराधी
कल तक एके-47 जैसे खतरनाक हथियार के बल पर रंगदारी वसूलने वाले अपराधियों इंटरनेट के माध्यम से बैठे-बैठे कारोबारियों से रंगदारी वसूल रहे हैं. झारखंड के अपराधी हाई टेक हो गए हैं, इसका खुलासा इन दिनों इंटरनेट कॉल से रंगदारी और धमकी के लिए मैसेज-कॉल से हुआ है. नयी तकनीक की जानकारी रखने वाले गैंग्स टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करके इंटरनेट कॉलिंग कर रहे हैं. फेक नंबर से आने वाली कॉल को ट्रैक कर पाना आसान नहीं होता है.
इंटरनेट से आने वाली कॉल रांची पुलिस के लिए आफत बन रही है. रंगदारी के लिए कॉल करने वाले अपराधी इंटरनेट के जरिए फोन कर रहे हैं. इस वजह से आईपी एड्रेस ट्रेस करने में समय लगता है. इंटरनेट के जरिए काल की सेवा देने वाली ज्यादातर कंपनियों के आफिस विदेशों में हैं. फर्जी आईडी के जरिए रजिस्ट्रेशन कराकर किसी सॉफ्टवेयर के जरिए काल करना आसान है. इंटरनेट के जरिए किए जाने वाले कॉल में वर्चुअल नंबर का यूज किया जाता है, जिसे आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता है.
पूर्व में सामने आई धमकियों में किसी फोन करने वाले का पता नहीं लग सका है. टेक्निकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे नंबरों से मैसेज और वीडियो भेजने की सुविधा होती है. जिसका इस्तेमाल ज्यादातर साइबर क्रिमिनल करते हैं, बिना सिम कार्ड के इस्तेमाल के होने वाली कॉल में मोबाइल हैंडसेट की जरूरत नहीं पड़ती. सिम कार्ड का इस्तेमाल ना होने से पुलिस टॉवर लोकेशन सहित अन्य जानकारी ट्रेस करने में नाकाम रह जाती है.
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इंटरनेट के जरिए कुछ सॉफ्टवेयर के जरिए वर्चुअल नंबर जनरेट करते हैं. इसका इस्तेमाल इंटरनेट कॉलिंग, व्हाट्सअप सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मैसेज भेजने में होता है. राजधानी रांची में कई लोगों को धमकियां मिली हैं. जिनमें इंटरनेट से आई कॉल को पुलिस ट्रेस करने में नाकाम रही है. साइबर एक्सपर्ट राहुल कुमार के अनुसार इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के लूप-होल्स का फायदा उठाकर अपराधी वर्चुअल कॉल के माध्यम से रंगदारी मांग रहे हैं.
ऐप बाजार में उपलब्ध
साइबर पीस फाउंडेशन की पीआरओ सिमोनी प्रसाद के अनुसार वर्तमान समय में बाजार में कई ऐसे ऐप मौजूद हैं. जिनका इस्तेमाल कर अपनी पहचान को छुपा सकते हैं. बेहद कम कीमत पर यह ऐप उपलब्ध है जिसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं.
लगातार सामने आ रहे मामले
हाई टेक होते अपराधियों ने पुलिस की नाक में दम करना शुरू कर दिया है. ज्यादातर मामलों में सर्विलांस के जरिए शातिरों तक पहुंचने वाली पुलिस को छकाने के लिए अपराधी इंटरनेट कॉलिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. पहले से ही व्हाट्सअप कॉल से परेशान पुलिस के लिए इंटरनेट के वर्चुअल नंबर मुसीबत का सबब बन गया है. सीएम हेमंत सोरेन को मेल के माध्यम से धमकी देने वाले को पुलिस ट्रेस नहीं कर पा रही. अब इस मामले को सुलझाने के लिए सीआईडी इंटरपोल की मदद ले रही है.
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हालांकि हाल के दिनों में कुछ मामले में पुलिस ने कई अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा है. लेकिन इस गिरोह तक पहुंचने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं. पुलिस विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस तरह के मामलों में सुलझाने में कई समस्याएं आती हैं. कॉल करने वाले इंटरनेट के जरिए फोन कर रहा है. इस वजह से आईपी एड्रेस ट्रेस करने में समय लगता है. इसके अलावा इसकी लंबी प्रक्रिया से भी कई बार परेशानियां आती हैं.
विदेशी सर्वर का प्रयोग, पुलिस परेशान
इंटरनेट के जरिए कॉल की सेवा देने वाली ज्यादातर कंपनियों के आफिस विदेशों में हैं. फर्जी आईडी के जरिए रजिस्ट्रेशन कराकर किसी सॉफ्टवेयर के जरिए काल करना आसान है. ऐसे मामले में पुलिस को पहले गृह विभाग की अनुमति लेनी होती है. गृह विभाग विदेश मंत्रालय को पत्र लिखता है, अगर विदेश मंत्रालय अनुमति देता है तो विदेश में मौजूद अपराधी की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जाती है. सीएम हेमंत सोरेन वाले मामले में भी सीआईडी को इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है.
नीदरलैंड और इराक के नंबरों से करते हैं फोन
जेल में बैठकर रंगदार इंटरनेट आधारित कॉलिंग कर रहे हैं. नीदरलैंड और इराक के वर्चुअल नंबरों से ही वाट्सएप कॉलिंग की जा रही है. अपने आपको अमन-सुजीत का खास बताने वाला मयंक नाम का शख्स भी कॉलिंग और मैसेज भेजने के लिए वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर रहा है. इसलिए इन नंबर्स को ट्रैक करने में पुलिस को परेशानी हो रही है. मयंक कौन है यह पुलिस आज तक पता नहीं लगा पायी है. लेकिन उसके खिलाफ राज्यभर के अलग-अलग थानों में 1 दर्जन से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं.
फोन नहीं उठाने पर भेजा जाता है ऑडियो मैसेज
मयंक सिंह हर हाल में कारोबारियों से रुपए ऐंठने की फिराक में लगा हुआ है. लगातार फोन कॉल्स और मैसेज से तंग आकर कई कारोबारियों ने अपने आपको घरों में कैद कर लिया है. इंटरनेट आधारित नंबरों से आने वाले फोन कॉल्स को उठाने से परहेज कर रहे हैं. ऐसे लोगों को रंगदार ऑडियो मैसेज भेज कर धमका रहे हैं. ऑडियो मैसेज में कहा जा रहा है- ‘कोई बात नहीं आप फोन नहीं उठाइए या फिर ऐसा करिए आप अपने और अपने परिवार की सुरक्षा बढ़ा लीजिए, आप या आपके परिवार के सदस्य जहां भी दिखेंगे, उन्हें गोलियों से छलनी कर देंगे’ इस तरह के मैसेज लगातार कारोबारियों तक पहुंच रहे हैं.
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सुजीत-अमन साव का गैंग लगातार कर रहा इस्तेमाल
रांची जेल में बंद अमन साव और धनबाद जेल में बंद सुजीत सिन्हा झारखंड पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभरा है. रांची, हजारीबाग, चतरा, लातेहार, धनबाद के कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टर्स, आउटसोर्सिंग कंपनियों से जुड़े व्यवसायियों को अमन साव गैंग ने रंगदारी के लिए धमकी दी है. लातेहार के तेतरियाखाड़ कोलियरी में हमले को लेकर भी अमन का गिरोह एनआईए की राडार पर है.
अमन साव और उसके गुर्गों के खिलाफ एनआईए चार्जशीट भी दायर कर चुकी है. लेकिन इन सबके बावजूद अमन गिरोह की दहशत में कोई कमी नहीं आई है. अमन साव वर्तमान में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है. अमन साव के गिरोह के पास एके-47 समेत कई घातक हथियार हैं. केवल अमन ही नहीं बल्कि उसका खास सहयोगी सुजीत सिन्हा के पास भी अत्याधुनिक हथियार है. दोनों जेल में बंद हैं लेकिन वहीं से अपनी सल्तनत चला रहे हैं.
जेल में कैदियों की बंदिश पर उठ रहे सवाल
रंगदारी का मास्टर माइंड सुजीत सिन्हा धनबाद जेल में बंद है. उसका दाहिना हाथ माना जाने वाला अमन साहू भी रांची जेल में है. लेकिन जेल में बैठकर ही ये सभी कारोबारियों के बीच खौफ कायम कर रहे हैं. ऐसे में जेल में बंद कैदियों की बंदिश पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. कोरोबारियों को धमकी देने के कारण ही सुजीत सिन्हा को जमशेदपुर से धनबाद जेल में शिफ्ट किया गया था जबकि अमन साव को रांची जेल से किसी अन्य जेल में शिफ्ट करने का प्रस्ताव जारी किया गया है. लेकिन वर्तमान समय में जेल की दीवारें भी अमन-सुजीत गैग्स के मंसूबों के आगे छोटी पड़ गई हैं.