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कोविड-19 से न्यायिक प्रक्रिया पर पड़ा असर, अधिवक्ताओं को हो रही आर्थिक परेशानी

कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर मुकदमों की सुनवाई पर पड़ रहा है, जिसकी वजह से सिविल कोर्ट रांची में लंबित मुकदमों की संख्या 50 हजार से ज्यादा हो चुकी है. सिविल और फौजदारी के 46,538 मुकदमें लंबित हैं. इसमें अपराध के 36,887 मामले शामिल हैं. कोविड-19 महामारी के कारण उन मामलों की सुनवाई अटकी हुई है.

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कोविड-19 से न्यायिक प्रक्रिया पर पड़ा असर

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Published : Jan 9, 2021, 5:01 PM IST

Updated : Jan 10, 2021, 10:13 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण पूरे देश भर में लॉकडाउन की स्थिति बनी. कोविड-19 के बीच पिछले 9 महीने से अदालत में न्यायिक मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से हो रही है. हालांकि धीरे धीरे सभी क्षेत्रों में छूट दी जाने लगी है. अनलॉक में कई क्षेत्रों पर रियायत दी गई, लेकिन अभी तक न्यायिक प्रक्रिया फिजिकल कोर्ट के माध्यम से चले इसको लेकर कोई अभी तक दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया. इसको लेकर अधिवक्ता लगातार फिजिकल कोर्ट की मांग कर रहे हैं.

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कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर मुकदमों की सुनवाई पर पड़ रहा है, जिसकी वजह से सिविल कोर्ट रांची में लंबित मुकदमों की संख्या 50 हजार से ज्यादा हो चुकी है. सिविल और फौजदारी के 46,538 मुकदमें लंबित हैं. इसमें अपराधी के 36,887 मामले शामिल हैं. कोविड-19 महामारी के कारण उन मामलों की सुनवाई अटकी हुई है. उन मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द हो इसको लेकर तैयारी चल रही है. बार काउंसिल के सदस्य संजय कुमार विद्रोही की मानें, तो रांची सिविल कोर्ट में कुल 40 कोर्ट हैं, जिनमें प्रत्येक दिन 100 केस सिविल और फौजदारी मामले के आते हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप से न्यायालय में कार्य नहीं होने के कारण कई मामले लंबित रहते हैं.

रांची व्यवहार न्यायालय में लंबित मामले पर एक नजर (सिविल और क्रिमिनल)
1.साक्ष्य व बहस जजमेंट- 196972.आरोप गठित और अन्य पर- 34373.अपील- 8444.उपस्थिति और सेवा संबंधित- 194915.आवेदन- 35936.एग्जीक्यूशन- 1779

पोक्सो के मामले में हो रही परेशानी

वहीं, अधिवक्ता मो. अफरोज की मानें, तो लॉकडाउन की वजह से पिछले 9 महीने से अधिवक्ताओं के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है, क्योंकि मुवक्किल और अधिवक्ता के बीच समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा है. कई मामलों की गवाही नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से मामले लंबित पड़ गए हैं. वादी की परिजन से मुलाकात ही नहीं हो पा रही है. इसके कारण कोर्ट के कार्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि पोक्सो के कई ऐसे मामले हैं, जो वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से नहीं हो सकते हैं, जिसके कारण अभियुक्त जेल में बंद है. क्योंकि मामले में ना तो गवाही हो पा रही है और ना तो 313 का बयान हो पा रहा है.

दिक्कतों का करना पड़ा रहा सामना

वहीं, कोर्ट के चक्कर काट रही फरियादी बीणा सिंह बताती हैं कि कोर्ट के कार्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कोर्ट के चक्कर अधिक लगाने पड़ रहे हैं. क्योंकि 1 दिन में कोई भी कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. अधिवक्ता से सही तरीके से बात भी नहीं हो पा रही है. पिछले कई महीनों से उनका बेटा जेल की चाहरदीवारी में में बंद है, लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा है. अगर अदालत में सुचारू रूप से मामले की सुनवाई होती, तो उनका बेटा शायद जेल से बाहर होता. फरियादी मोहम्मद रिजवान की मानें, तो उनका एक चचेरा भाई चोरी के मुकदमे में जेल में है. वह पिछले 4 महीनों से कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा है. अगर अदालत में फिजिकल माध्यम से सुनवाई होती तो शायद वह बाहर निकल पाते.


जिला बार एसोसिएशन ने की मदद
अधिवक्ताओं की आर्थिक संकट पर जिला बार एसोसिएशन ने संवेदनशीलता दिखाते हुए अधिवक्ता वेलफेयर ट्रस्ट से लगभग 50 लाख अधिवक्ताओं के बीच 4-4 हजार रुपए बांटे गए हैं. जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक संयुक्त सचिव पवन रंजन खत्री ने कहा कि पिछले 9 महीने से अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. न्यायालय में सुनवाई के कार्य में मात्र 10 फीसदी अधिवक्ता ही लाभान्वित हो पा रहे हैं. बाकी अधिवक्ता की माली हालत काफी खराब हो गई है. रांची व्यवहार न्यायालय में बात करें तो लगभग 3 हजार अधिवक्ता न्यायिक कार्य से जुड़े हुए हैं जबकि पूरे राज्य में ये आंकड़ा 30 हजार का है, लेकिन इसके बावजूद सरकार की ओर से अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति पर कोई सुध नहीं ली गई.

Last Updated : Jan 10, 2021, 10:13 PM IST

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